बुर्ज हिल गया भारत का जो
सुरक्षा का कहलाता था
मौन हुआ वह शेर हिंद का
जिससे दुश्मन थर्राता था
ना जाने किस क्रूर घड़ी में
उस विमान पर सवार हुये
नित नई उड़ानों वाले
इस उड़ान में हार गए
शौर्य पुरुष जनरल रावत की
शौर्य गाथा जब गाएंगे
मधुलिका भी गई सुहागन
भूल उन्हें ना पाएंगे
ब्रिगेडियर लिद्दर का साहस
हरजिंदर सिंह की भक्ति
गुरु सेवक जितेंद्र कुमार
नायक विवेक की वह शक्ति
तेजाजी सतपाल और कुलदीप
कहां तुम चले गए
कैसी भरी उड़ान पृथ्वी सिंह सारे
दीपक बुझ गये
सेना की तुम शान थे रावत
सैनिकों का अभिमान थे रावत
कड़े सुरक्षा तंत्र के प्रहरी
हर सैनिक की जान थे रावत
भूल नहीं पाएंगे तुमको
हम कृतज्ञ भारतवासी
कभी नहीं यह घाव भरेगा
पूरी होगी ना यह क्षति
जाओ वीरों भारत के तुम
शौर्य पुरुष कहलाओगे
जहां रहोगे प्रेरक बनकर
गीत देश के गाओगे।
प्रीति मनीष दुबे
मण्डला(म.प्र)