हम सोते हैं चैन से क्योंकि सैनिक जगते हैं।
हमारी सुरक्षा के लिए हर पल मौत को वरते हैं।
न निभाते जात धर्म न तीज त्यौहार कोई।
देश के रक्षार्थ न परिवार को वक्त दे पाते हैं।।
हर विकट संग्राम को युद्ध रत प्रतिपल रहते।
हाथ में हथियार ले वो हर कष्ट से जूझते हैं।।
ठंड से ठिठुरती रात हो या जेठ की तपती दोपहर।
ओला पड़े या आंधी आए कर्म पर डटे रहते हैं।।
देश बचाने का संकल्प लिया है, वो है वीर सैनिक।
हर विकट संग्राम में धरा को, रक्त से जो सींचते।।
दिन में नहीं पल भर सुकून न जाना रात्रि विश्राम,
लक्ष्य पर रखते ध्यान रात के कोहरे को जो झेलते।
वक्त पड़ने पर जो खेलते हैं खून से होली।
अपने बच्चों के साथ खिलौने से न कभी खेलते।।
चुका नहीं सकते हैं जिनके कर्ज को हम कभी,
नमन है उनको वह हमारे देश के हैं वीर सैनिक।
हम सुकून की नींद सोते क्योंकि वह जागते।।”
अम्बिका झा ✍️