साजिशों के साए में भी, हरदम मुस्कुराते थे,
मासूम दिल धड़कते थे जिनमें,
दुश्मन के आगे वो
सीना तान खड़े जो हो जाते थे!
यह वार भारत की ममता पर है-
देश जिसपर रोया है
हर सैनिक इक हीरा था,
जो हमने आज फिर खोया है!
मां भारती के सपूत
जो इसकी गोदी में सो गए
निज गौरव की रक्षा करते,
क्षत-विक्षत हो गए,
तन समर्पित, मन समर्पित,
कर इस माटी में जो मिल गए
वो वीर मानव-तन त्याग कर,
हमारे रक्षक अब फरिश्ते हो गए।
तेरे लिए ही खडा रहा हूँ मैं,
अब तेरी गोद में सोया हूँ माता!
तन विक्षत हो माटी हुआ तो क्या,
मैं फिर भी तेरा सैनिक हूँ तेरा माता,
मेरा धर्म है तेरी रक्षा करना!
मरते हुए भी करूं राष्ट्र अराधना,
अंतिम पल में करूं प्रार्थना।
तेरे सपूत हैं, गर्व है, तेरे काम आए हैं
मेरी सेवा से हो प्रसन्न,
इतना आशीष तुम मुझे देना-
हे पुण्य पुनीता जन्मभूमि,
तेरे चरणों में शीष झुकाऊं मैं
तेरी सेवा कर्म है मेरा, तेरी रक्षा मेरा धर्म
आन पड़े जो तेरी आन पर कभी,
न डरूं कभी, न डिगूं कभी,
तेरे चरणों में शीष चढ़ा कर,
यूं अपना धर्म निभाऊँ मैं..
ले लेना शरण में मुझको माता,
सो जाऊं तेरी गोदी में,
तुझ पर प्राण वार दूं,
यूं ममता का कर्ज़ चुकाएं मैं …
हे जननी, मातृभूमि,
दास पर दया तुम भी सदा करना
मिटूं हज़ारों बार मैं तुझ पर चाहे,
हर बार तेरे ही आंगन में लौट आऊँ मैं….!
शालिनी अग्रवाल
जलंधर