साप्ताहिक प्रतियोगिता हेतु प्रदत्त विषय

सूरज को दीपक दिखाना

कविता

गीत

किसी बड़े विद्वान के आगे अपनी विद्वत्ता दिखलाना।

इसी को हम सब कहते हैं, सूरज को दीपक दिखलाना।

1 इधर उधर के शब्द जोड़कर , आज कवि कहलाते है।

अपनी रचनाओं को तुलसी सूर से, श्रेष्ठ बताते हैं।

टेक जैसे सूर्य को दीप दिखाना, दुनियां ने ऐसा माना 0………

2 श्री राम आर्दश जगत के,वेद शास्त्र ये गाते हैं।

शेष, महेश ,गणेश, दिनेश, सुरेश भी उनको ध्याते है।

टेक राम नाम का आडंबर कर , सूर्य को दीप दिखाना है 0……….

3 सागर को कस्ती को मापना सूर्यको दीप दिखाना है।

टेक जैसे वायुयान के आगे,छोटा ड्रोन उड़ाना है 0…….

4 बड़ों के आगे छोटों की तो, कोई कद्र नहीं होती।

जैसे मोती के आगे, सीपी की कद्र कहां होती।

टेक केबल राम, नाम सूरज सम दीपक जैसा ये जमाना 0………

हम सब इसी को कहते हैं, सूरज को दीपक दिखलाना।

बलराम यादव देवरा छतरपुर

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One thought on “सूरज को दीपक दिखाना”
  1. बहुत सुंदर आदरणीय बलराम जी।

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