पीली सी चादर में,
लिपटा हुआ नभ
नवप्रभात लेकर आई
भोर सुहानी…
मध्यम मध्यम सूरज ने,
लालिमा है बिखेरी
आगाज हुआ सुहानी भोर का
लेकर आई मन में उमंग तरंग…
कुहू कुहू के गीत कोकिला फिरती गाती
मोर का नव नृत्य हृदय को भाती
पुष्प मंद मंद मुस्कान लिए
स्वतंत्रता का कर रही आव्हान…
देखो सुहानी भोर,
फैला उजियारा चारों ओर
सुख समृद्धि लेकर आए
नई सुबह सुहानी भोर….
मंजू रात्रे ( कर्नाटक )