रविवार का दिन-
ऑफिस की छुट्टी के कारण माही आज देरी से उठी, नहाकर किचन में पहुंची तो घड़ी ग्यारह बजा रही थी। फ्रिज में से कल के उबले आलू निकाले , थोड़ा सा आटा गूँथकर ढका और पूजा करने बैठ गई । गायत्री चालीसा का पाठ करके उसने टीवी ऑन की ही थी, तभी डोरबेल बजी।
दरवाजा खोला तो सामने एक अनजान लड़की खड़ी थी।
हल्की गुलाबी कुर्ते के साथ सफेद दुपट्टा, कान में नग के छोटे से टॉप्स, मेकअप के नाम पर कुर्ते से मैचिंग लिपस्टिक, छोटी सी बिंदी और मांग में सिंदूर ….
उस सुंदर लड़की ने परिचय दिया,”हैलो , मैं शशि , आपके कलीग ध्रुव की पत्नी,” सुनके माही शॉक्ड रह गई, कुछ पल को उसके पैर वहीं जम गए।”क्या मैं अंदर आ सकती हूँ?”उसने मुस्कुराकर पूछा।
“जी सॉरी , आईए न।”माही ने दरवाजे से साइड होते हुए कहा।
“सॉरी, छुट्टी के दिन यूं अचानक आने के लिए”, अंदर आकर सोफे पर बैठते हुए शशि ने कहा, ” ऑफीस से आप का और सभी कलीग्स का एड्रेस लेकर पार्टी के लिए इनवाइट करने निकली हूँ ,एक्चुली , हम अभी यहाँ ज्यादा किसी को जानते नहीं हैं,तो ध्रुव के बर्थडे से अच्छा मौका और क्या होगा सबसे मिलने का।”शशि ने उसके जवाब का इंतजार किये बिना मासूमियत से कहा, “ध्रुव कल शाम टूर से लौट रहे हैं इसलिए उन के बर्थडे पर मैंने सरप्राइज पार्टी प्लान की है,आप जरूर आइयेगा।”
माही उसकी बात सुनकर फीका सा मुस्कुरा दी। ध्रुव ने विवाहित होने की बात छुपाकर उसकी भावनाओं के साथ खेला है , यह जानकर वह अंदर से टूट गई थी।
एक कप चाय और सामान्य औपचारिक बातों के बाद पार्टी में आने का वादा लेकर शशि ने माही से विदा ली।
अपने आंसू जो माही ने अब तक पलकों की ओट में छुपा रखे थे, अब वह बह निकले, रोते हुए माही कमरे में आ गई ।
उसे याद आया कैसे ध्रुव हमेशा उसके पीछे पड़ा रहता था।बात बात में तारीफें और दीवानापन…..आखिर वो दिल हार ही बैठी ।
माही अपने आंसू सम्हाल ही नही पा रही थी।
मोबाइल उठाकर उसमें ध्रुव की फोटो देखते हुए उसे बहुत तेज रोना आ गया। डेटा ऑन किया तो उसमें ध्रुव के बहुत से मेसेज और दो मिस्ड वीडियोकॉल दिखे।
उसे गुस्सा आया कि मेरी भावनाओं से खिलवाड़ करके क्या मिल गया, और क्या कमी है शशि में, कितनी प्यारी , सौम्य और सुंदर है, कोई चाहकर भी कमी न ढूंढ सकता उसमें, और ध्रुव,… ध्रुव उसे धोखा दे रहा।
अगर पता होता कि ध्रुव शादीशुदा है, मुझे और अपनी पत्नी दोनों को धोखा दे रहा तो मैं कभी उसके झांसे में नहीं आती।
पर बस अब और नहीं, जो हुआ अनजाने में हुआ। गलती तो उसकी है जो दो दिलों के साथ खेलता रहा। ध्रुव का प्रेम मात्र छलावा था।
आंखों से सारे सपने आंसू बनकर बह गए और माही के ये आंसू बस यही कह रहे थे , काश कि शादीशुदा मर्दों के लिए भी कोई सुहाग चिन्ह होता तो मुझे ध्रुव से यूं प्यार में धोखा न मिलता, कम से कम मैं खुद की नजर में शशि की गुनहगार तो न बनती।