सुरूर

दोहा

1 मन में अजब सुरूर है,देख तुम्हारा रूप।

मन में अब ऐसा लगे, जैसे हम है,भूप।

2 हम मन के आनंद को, कहते कभी सुरूर।

ये सुरूर कायम रहे, जीवन में भरपूर।

3 हंसी खुशी से काटिये, जीवन के दिन चार।

मन में रहे सुरूर नित, कृपा करें त्रिपुरार ।

4 जब तक ये सांसें रहें,हर पल रहे सुरूर।

ये नर तन अनमोल है,करना नहीं गुरूर।

बलराम यादव देवरा छतरपुर

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