सतरंगी  अश्वों से सज्जित रथ पर
आरूढ़ हो आया रश्मिरथी
कुछ संकुचित कुछ खिलखिलाता सा
पर्ण पुष्पों का करता आलिंगन
शीत वायु को देता कतिपय ऊष्मा
तुहिन कणों को अवशोषित कर 
शैवाल को भी देता जीवन
स्वागत में सुखद प्रभात बेला की 
हो गया है रक्तिम 
अवनि का भी प्रसन्न आनन
रेनु सिंह
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