तुझमें और मुझमें फ़कत ये फर्क है काफ़ी
हम सिर्फ़ शिकायत, तुम रोज़ साजिशें करते हो
सुना है आजमाने से भरोसा टूट जाता है
हम यकीं हर बार, तुम रोज़ अजमाइशें करते हो
ख़्वाहिशों को किसी की कहाँ सुकूँ आया है
संभालें कैसे मुफ़लिसी, तुम रोज फ़रमाइशें करते हो
दिल के जज़्बातों को छुपा के रखना है बेहतर
हमें है डर तेरी रुसबाई का, तुम रोज़ नुमाइशें करते हो
रचनाकार – अवनेश कुमार गोस्वामी