आज बादलों का स्वभाव कुछ अलग ही संकेत दे रहे थे। काले बादलों ने चारों और घुमड़ – घुमड़ कर तूफानी हवा के साथ गर्जना शुरू कर दिया था। बादलों का साथ देने चमचमाती बिजली भी आ गई थी और उसके साथ आ गई थी बारिश। खिड़की पर पड़ने वाले हवा के जोरदार झटके पड़े तो मैं नींद से जागा। अभी इस मोहल्ले और इस घर में आए हुए दो ही दिन तो हुए थे मुझे। घर व्यवस्थित करने के नाम पर ऑफिस से छुट्टी ले ली थी। घर पूरी तरह व्यवस्थित हो गया था लेकिन थकान ने शरीर को चूर चूर कर दिया था। जल्दी से दो मिनट वाली मैगी बनाई और जल्दी – जल्दी खाकर “ऑंखों में चढ़ी नींद मेरी थकान को कम कर देगी” ये सोचकर चादर तान सो गया था।
हवा की जोरदार आवाज जब कानों में टकराई तब जाकर नींद खुली। देखा तो खिड़की के पल्ले कभी दाएं कभी बाएं हो रहे थे और साथ ही हवा भी खिड़की के रास्ते कमरे में प्रवेश कर रही थी। तुरंत ही समझ में आ गया कि बरखा रानी आ चुकी है और उनका साथ चमचमाती बिजली और गरजते बादल दे रहे हैं। उठ कर जल्दी से खिड़की के पास पहुंचा ताकि खिड़की बंद कर आराम से फिर से सो सकूं। खिड़की के पास पहुंचा और जैसे ही खिड़की बंद करने के लिए हाथ बढ़ा ही रहा था कि नजर खुद-ब-खुद सामने वाली खिड़की पर जाकर अटक गई। अब यह न पूछना कि कौन थी वह? अरे! पहली नजर में ऑंखों के रस्ते दिल में उतर जाए वैसी हूर परी थी वह। उसकी बंद आंखें भी मानों बोलने को बेकरार थी। मैं तो अपनी सुध – बुध खोकर उस हुस्न परी को देखता ही रह गया।
बंद आंखों ने धीरे-धीरे जब अपनी पलकें उठाई, ऑंखों में ऑंसूओं का सैलाब देखकर मेरा मन भी रो पड़ा। फिर लगा कि इतनी खूबसूरत लड़की को क्या गम हो सकता है? शायद! उसकी ऑंखों में बारिश का पानी चला गया हो और वही मुझे ऑंसू लग रहे हो लेकिन जब मैंने उसकी नजरों का पीछा किया तब मैंने पाया कि वह तो अपने बगीचे में ही लगातार देखे जा रही है। मैंने भी खिड़की से उसके बगीचे की तरफ देखा। लगा जैसे शादी-ब्याह के लिए टेंट लगाया जा रहा हो। ध्यान दिया तो सुना कि शादी के गीत औरतों द्वारा गाएं जा रहें हैं।दो महीने पहले अगर कोई मुझसे पूछता कि शादी के गीत क्या होते हैं तो मैं बता नहीं सकता था लेकिन आज मुझे उन गीतो का ज्ञान था। मैं जानता था कि यह लड़की के शादी का ही गीत गाए जा रहें है क्योंकि दो महीने पहले मेरी बहन की शादी हुई थी उसी में मैंने इस तरह के गीत सुने थे। मेरी बहन भी दुल्हन बनी थी और उसके आंखों की खुशी मैं जानता था। मैं समझ गया कि इसकी ही शादी हो रही है और यह इस शादी से बिल्कुल भी खुश नहीं है। मैं उस लड़की को देखकर उसे समझने की कोशिश कर ही रहा था कि तभी अचानक से मेरा मोबाइल बजा और मैं मोबाइल उठाने के लिए अपने बिस्तर के पास वाले टेबल की तरफ आ गया।
किसी और का फोन होता तो मैं उस वक्त नहीं उठाता लेकिन फोन की स्क्रीन पर माॅं लिखा दिख रहा था इसलिए मैंने टेबल पर से मोबाइल उठा लिया और माॅं से बात करने लगा। कुछ देर बातें करने के बाद मुझे उस लड़की का ध्यान आया। मैं बातें करते हुए खिड़की के पास पहुंचा। बारिश तो अभी भी हो रही थी लेकिन तूफानी हवाएं अब कम हो चुकी थी। मैंने सामने वाली खिड़की की तरफ नजर उठाई तो देखा कि अब सामने वाली खिड़की पर कोई दिख भी नहीं रहा है। अनायास ही मेरी नजर बगीचे में गई तो देखा कि टेंट हाउस वाले वाटर प्रूफ टेंट लगाने की तैयारी में जुटे हुए हैं। शादी शायद! आज ही है दिमाग में यह बात आई। मैं उस लड़की के बारे में सोच रहा था इस बात को माॅं तो नहीं जान पाई लेकिन हां! इतना वह जरूर जान गई कि मेरा ध्यान उनकी बातों पर बिल्कुल भी नहीं है। वह यह बात मुझे बता ही रही थी कि तभी डोर बेल बजी और मैंने उनसे कहा कि “माॅं! लगता है कोई दरवाजे पर आया है मैं आपसे बाद में बात करता हूॅं।”
मोबाइल फोन को जेब में रखते हुए मैंने दरवाजा खोला। सामने हमारे मकान मालिक खड़े थे। मैंने उन्हें नमस्ते किया और अंदर आने के लिए कहा। उन्होंने अंदर आने के लिए मना कर दिया और कहा कि “मैं तो सिर्फ तुम्हें यह कहने आया था कि पड़ोस के वर्मा जी की लड़की की आज शादी है। उन्होंने कल ही मुझे कह दिया था कि आपके यहां जो किराएदार आए हैं उन्हें भी साथ लेकर आना लेकिन मैं ही कल तुम्हें यह बात बताना भूल गया था इसीलिए अभी बताने चला आया। शाम में आठ बजे तैयार रहना, मैं तुम्हें लेने आऊंगा, हम दोनों साथ चलेंगे।”
वैसे भी मैं शादी ब्याह में कम ही जाता हूॅं लेकिन मकान मालिक को मना नहीं कर पाया क्योंकि उन्होंने बहुत प्यार से मुझे अपने साथ चलने के लिए कहा था इसलिए मैं तय समय पर तैयार होकर उनके साथ चला शादी में शरीक होने। एक घंटे बाद लड़का भी आ गया जयमाला के लिए लड़की को बुलाया जाने लगा। सुबह वाली बात और उस लड़की का चेहरा मेरे दिमाग में अभी भी घूम रहा था। मैं देखना चाह रहा था कि उसी लड़की की शादी है या किसी और की?
सुर्ख लाल जोड़ा पहने जब दुल्हन अपने दूल्हे के पास जा रही थी, उस से दूरी होने की वजह से मैं उसे देख नहीं पाया लेकिन कुछ देर बाद ही जब वह स्टेज पर वरमाला के बाद मेरे सामने खड़ी थी मैंने उसे तुरंत ही पहचान लिया। दुल्हन के लिबास में वही लड़की स्टेज पर खड़ी थी। उस वक्त वह सुबह वाली लड़की से भी अधिक सुंदर किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी लेकिन सुबह वाली लड़की और उस समय दुल्हन के लिबास में खड़ी उस लड़की में समानता थी और वह समानता थी उसकी ऑंखों में तैरने वाले ऑंसू।
मैं उस लड़की का नाम तक नहीं जानता था। शादी वाली रात भी मैंने दुल्हा दुल्हन के नाम पर ध्यान नहीं दिया था और सुबह जल्दी ऑफिस जाना है कहकर वहां से निकल आया था यही कारण था कि मुझे उस लड़की का नाम तक नहीं मालूम हो पाया था और अब जब उसकी शादी हो चुकी थी तो मुझे उसका नाम जानने में कोई दिलचस्पी भी नहीं थी फिर भी जब भी खिड़की के पास जाता अनायास ही नजर सामने वाली खिड़की की तरफ चली ही जाती थी और तो और ऑंखों में ऑंसूओं का समंदर लिए वह खड़ी है इसका आभास तक मुझे होने लगा था। कुछ समझ ही नहीं पाता था कि क्यों मेरी ऑंखें उसे देखने को बेताब हो रही है? मैं तो उसे जानता तक भी नहीं फिर भी उसके अनबूझे दर्द को मेरा दिल क्यों जानना चाहता था? “काश! उस लड़की के दिल का दर्द जो उसकी ऑंखो में ऑंसू बनकर मुझे दिखा था उसे मैं जान पाता? शायद! उसकी मैं कुछ मदद ही कर पाता?
शायद…..” इस तरह के अनगिनत सवाल मैं उस सामने वाली खिड़की की तरफ देखते हुए सोचते रहता।
एक महीने बाद सुबह – सुबह ही जब मैं सो ही रहा था तभी लगातार बज रही डोरबेल की आवाज से मेरी नींद खुली। दरवाजा खोला तो हमारे मकान मालिक खड़े थे उनके साथ घबराए हुए वर्मा जी भी थे। मेरे पास कार थी इसलिए वें दोनों मेरे पास आएं थे। जल्दी से मेरे मकान मालिक ने मेरी कार निकालने को कही और मेरी तरफ देखते हुए कहा कि मुझे सारी बातें गाड़ी में ही बता देंगे।”
गंतव्य तक हम सभी पहुंचते उससे पहले ही मुझे मालूम चल गया था कि वर्मा जी की बेटी जिसकी शादी में मैं गया था उसने अपने आप को जला लिया है। जब मैं वहां पर पहुंचा, मेरे लिए उसे ऐसी हालत में देखना असहनीय था। ना जाने क्यों ऑंखे अविरल बह रही थी? बेटी के लिए विलाप करते उसके माता – पिता का दर्द मेरा दिल सहन नहीं कर पा रहा था। बार – बार सामने वाली खिड़की पर खड़ी उस लड़की की ऑंखें मेरे सामने आ रही थी जो मेरी व्याकुलता को बढ़ा रही थी। मैंने पुलिस से बात की तो मालूम चला कि “रात में दो – तीन बजे के करीब ही यह घटना हुई है। लड़की जलकर मर चुकी है। वैसे इसे दिखाया तो गया है कि यह आत्महत्या है और लड़की खुद जलकर मरी है लेकिन जहां तक मेरा अनुभव कहता है लड़की खुद जलकर नहीं मरी है बल्कि इसे दहेज के कारण जलाकर मारा गया है। अब मुझे सिर्फ सबूत ढूंढने हैं।”
अब मैं निस्तब्ध खड़ा सोच रहा था “कितना दर्दनाक हुआ है इस लड़की के साथ। इसकी शादी के बाद में मुझे मकान मालिक से पता चला था कि यह पढ़ना चाहती थी अपना भविष्य संवारना चाहती थी लेकिन उसके पिता ने अपने सर से उसकी शादी का बोझ उतारने के लिए उसकी सुने बिना शादी कर दी। जल्दबाजी में किए गए रिश्ते हमेशा ही सही परिणाम दे ऐसा हर बार मुमकिन नहीं। क्या होता अगर वर्मा जी अपनी बेटी को उसका भविष्य संवारने के लिए कुछ समय दे देते। मैंने भी अपनी बहन की शादी की है, इतना तो मुझे मालूम हो ही चुका है कि शादी – ब्याह के मामले में हमें चाहिए कि लड़के वालों के बारे में अच्छी तरह जांच – पड़ताल करके ही अपनी बेटी उनके घर में ब्याहे और उससे भी महत्वपूर्ण यह होगा कि हर घर में बेटियों की सुनी जाए। उसे अपने जीवन का फैसला लेने दिया जाए। अगर आज वर्मा जी ने अपनी बेटी की ऑंखो में छुपे ऑंसूओं को देखा होता और उसे समझने की कोशिश की होती तो आज उनकी बेटी दहेज लोभियों के हत्थे ना चढ़ी होती।”
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धन्यवाद 🙏🏻🙏🏻
गुॅंजन कमल 💗💞💓