सांझा चूल्हा की बात निराली,
संयुक्त परिवार की निशानी…
जहां रिश्ते हैं बसते, माला सी पिरोए,
संग संग है रहते, खुशी ,संग मुस्कुराते…
चाची ,दादी ,मां संग, पकाती रोटियां,
परस्ती सबको, निभाती जिम्मेदारियां…
तीज त्योहारों पर पकवान है बनते
संग संग खुशियों के गीत है गाते…
खुशियों का हो आंगन, प्रेम से भरे हो द्वार
एक साथ जो पीते चाय की प्याली,
मिलकर करते सुंदर विचार..
सुख-दुख जहां संग संग है बांटते,
सांझा चूल्हा, परिवार को है संवारते….
मंजू रात्रे (कर्नाटक )