सच कहा जाता है,
सांच पर कोई आंच नहीं आती ,
झूठ, झूठ ही है, सच कभी झुका नहीं,
कुछ समय के लिए दिखता नहीं सच,
पर ज्यादा दिन छिपता नहीं सच,
सच सोना है कांच नहीं, पिघलता है पर टूटता नहीं,
झूठ छले पर चले नहीं, सच चले पर छले नहीं,
झूठ कितना भी सवांर ले खुद को ,सच की तरह निखरता नहीं,
झूठ डर है तो सच निडर,
झूठ रुलाता है तो सच हसाता है,
झूठ झुकाता है सच उठाता है,
झूठ पाप है तो सच तप,
झूठ अंधेरों मे घर बनाता है तो सच उजाले मे,
सच ही कहा गया है,
सच पर कभी आंच नहीं आती ।