मनहरण घनाक्षरी छंद
विधान- 8,8,8,7
कमल विराजती माँ, सरस्वती वंदनि हो,
शीष मुकुट मणि माँ, कष्ट निवारिणि हो,
ज्ञान प्रकाश देती माँ, दुखों की विनाशनि हो,
मंगल करने वाली, पाप विमोचनि हो,
गीत संगीत की देवी, भाव जगाने वाली हो,
श्वेत वस्त्र धारिणी माँ, विघ्न विनाशनि हो,
मंगल को देने वाली, सर्वस्व प्रदायनी हो,
करते नमन तुम्हें, पुण्य प्रकाशनि हो,
    काव्य रचना-रजनी कटारे
           जबलपुर म.प्र.
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