सात स्वरों की सरगम पर गीत मधुर सज जाते हैं । 
दिल के सुन्दर भाव सुर – लहरियों पर बह जाते हैं । 
स से षडज गीत शान्ति के सदैव गाते हैं । 
रे से ऋषभ रीति प्रीत की सदा निभाते हैं । 
ग से गांधार कंधार तक भ्रातृ – भाव फैलाते हैं । 
म से मध्यम मार्ग पर हरदम कदम बढ़ाते हैं । 
प से पंचम पावन भाव – भरे गीत हम गुनगुनाते हैं । 
ध से धैवत धैर्य धारण कर जीवन की रीति निभाते हैं । 
नि से निषाद नैतिकता की नदिया में निर्मलता पाते हैं । 
कोमल – तीव्र स्वरों से सुन्दर संगीत सजाते हैं । 
मन्द्र मध्य तार सप्तक में गीत प्रेम – शान्ति के गाते हैं। 
सात स्वरों की सुर – सरिता में मन पावन हो जाते हैं । 
सात स्वरों की सरगम पर राग – रागिनी गाते हैं । 
मीरा सक्सेना माध्वी 
नई दिल्ली 
स्वरचित , मौलिक एवं अप्रकाशित.
Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *