न्याय है कहाँ।जिस तरह से हमारे देश मे एक के बाद एक बेटियो पर जुल्म हो रहे है । उनकी सुरक्षा पर प्रश्न उठ रहे हैं।हम यह सोचने पर विवश है कि हमारी बेटियां  सुरक्षित खान है । जो लोग लड़कियो  के साथ अमानवीय कृत्य करते हैं यह समाज के उन पिशाच की तरह हैं जिन्होंने  सभ्य मनुष्य का  मुखौटा पहना हुआ है लेकिन कृत्य उनके पिशाच की ही तरह हैं ।बेशक उनके लंबे लंबे दांत और नाखून नही हैं लेकिन उनकी सोच इतनी घृणित है कि बुराई भी इनके आगे कम पड़ जाती है।
वह मानसिक रूप से बीमार है ।उन्हें किसी तरह की सजा का भी कोई भय नही है।और न ही उनके हाथ कांपते है ।इनकी आंखे एक लड़की को  देखते ही ऐसे घूरती है कि उसका  एक्स रा कर रहीं हों। बिना नाखून और लम्बे लम्बे दांतो के ही आंखो से ही उसके शरीर का सारा खून पी जाते हैं। ऐसे दरिंदे समाज में निर्भय हो घूमते रहते हैं।
ना तो उन्हे सजा का भय है और नही समाज का।
।पहलेनिर्भया के साथ दरिंदगी की।उसे न्याय मिलने मे इतना समय लगा कि दरिंदो के मन से मौत का ख़ौफ़ ही चला गया।
उन लोगो ने यह सोच लिया कि कोई हमारा कुछ नही बिगड़ सकता। अभी पिछले साल हैदराबाद मे डॉक्टर के साथ जो हुआ उसमे पुलिस वालो ने तुरन्त उसके गुनाहगारो को सजा दी तो उन्ही पर सवाल उठ गए।
अब हाथरस की मनीषा के साथ भी वही दरिंदगी हुई है
क्या उसे न्याय मिलेगा क्या सरकारी नोकरी और रुपयो से उसका हर्जाना पूरा होगा। उसके साथ दरिंदगी करने वालो को तुरन्त ऐसी सजा मिले कि आगे कोई ऐसा करने की सोच भी न सके। चाहे  वह वालिग हो या नाबालिग सजा सबको मिलनी चाहिए। जब नाबालिग को ऐसा कुकृत्य करते डर नही लगता तो फिर उन्हें भी सजा मे रियायत क्यो।सबको तुरन्त ही फाँसी होनी चाहिए। तभी इनसारी निर्भया की आत्माओं को मुक्ति मिलेगी ।लेकिन ऐसा होगा कब ?
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