प्रचंड वेग है सपनो का
बहा ले जाता संग
दिशा हीन सी बहती हूँ
धुंधला सा जीवन का रंग
अखण्ड प्रण है जीवन को
दिशा एक दिखानी
धुंधले से इस जीवन मे
पारदर्शिता लानी है
भाद्र पाद की बूंदों सी
गरजुँ भी और बरसुँ भी
वेग तूफानी हवा का ले
गली गली से गुजरुँ भी
उदंड चाल सी धरती की
उथल-पुथल मचानी है
बावंडर से निकाल के कश्ती
किनारे तक ले जानी है
घमंड तीर हो नज़रो मे
असफलता को घुरुं मै
स्वर्ण मुकुट हो मस्तक पर
सफलताओं को चुमू मैं
कविता गुज्जर
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