क्यों तोड़ दिए जाते हैं सपने एक अल्हड़ लड़की के
नन्हे नन्हे तोहफे इकट्ठे होते हैं
पर बड़े-बड़े सपने पीछे कहीं छूट जाते हैं ।
कढ़ाई वाले रुमाल ,क्रोशिए की चादर ,बढ़िया सा डिनर सेट मामा जी के द्वारा दिए गए चांदी का सैट,
ताऊजी का दिवाली गिफ्ट
पापा के ऑफिस से मिले कीमती सिक्के।
जब मां उसे दिखाती है गले से लगाती है
और बड़े लाडो से कहती है लाडो यह सब तुझे ही दूंगी ,
पर भूल जाती है लाडो के सपनों को, जो वह
उड़कर, आसमां में जाकर ,नई मंजिलें पाकर
पूरी दुनिया में नाम कमा कर पाना चाहती हैं।
बस बावरी सी हो जाती है मांजब कोई अजनबी प्रस्ताव लेकर आता है लाडो के रिश्ते का
नासमझो की तरह फिसल जाती है,
उसकी तनख्वाह पर ,उसके रुपए पर ,उसकी कोठी ,कार नौकर और ना जाने क्या-क्या उसे दिखने लगता है।
विश्वास रखती है कि हां मेरी लाडो को पढ़ाएंगे
नौकरी कराएंगे बड़े खुले दिलवाले हैं
बड़े भले लोग हैं बस एक दो बार में ही
उन अनजानो के ऊपर विश्वास हो जाता है।
पर नहीं कर पाती विश्वास अपनी लाडो पर
कि क्या वह खुद अपनी पढ़ाई पूरी कर
नील गगन को नहीं छू सकती
और इसी अनजान भरोसे ने ना जाने कितने सपनों को नीलामी की कतार में खड़ा कर बड़ी संजीदगी से उन्हें
केवल और केवल एक अदना गुलाम साबित किया है ।
जो बेइंतहा ज़हीन गुलाम मुस्कुराकर गुलामी को ही अपना मुकद्दर मानती रहती है ।
स्वरचित सीमा कौशल यमुनानगर हरियाणा