” सत्य और इंसान ”
सत्य की डगर शुल से भरी ,
चलता जाए इंसान
दुनिया है असत्य से भरी
बच के रहना इंसान…
झूठ फरेब का लेप लगाकर
सत्य को असत्य बदलता इंसान
बस तुम,
कठिनाइयों से ना घबराना
सत्य की राह पर चलते जाना..
सूर्य ना बन पाए तो क्या,
मन में कोई मलाल ना रखना
छोटा सा दीप ज्ञान का
ज्योति तुम जला कर रखना..
सच के साथ में रहने वाले
कैसा भी उसका अंत हो
इंसा वही जिसमें करुणा और ज्वलंत हो..
सत्य का सामना करते हुए
हो ना जाना तुम भयभीत
सच्चा अगर हमारा कर्म हो तो,
सत्य की होती है जीत..
मंजू रात्रे ( कर्नाटक )