सच्चे पत्रकार के पैरों में जंजीर डाल दिया।
राममोहन राय ने क्या इसीलिए धार दिया।
पत्रकार होते थे इस समाज के सच्चे प्रहरी।
कहाँ हो रहाहै क्या ?रखें स्वयं नजर गहरी।
पत्रकार तो धरा पर हैं सच का पता चले न।
कहाँ हो रहा गलत जरा भी ये पता लगे ना।
पहले खोजी होतेथे पत्रकार मेहनत करते थे।
वह तो कापी पेस्ट कभी नहीं किया करते थे।
कभी-2 ये स्टिंग ऑपरेशन भी करते रहते थे।
फंसते थे बड़े-2 जब खुफिया कैमरे चलते थे।
इनकी कलम चले खबर छपे तभी सब जानें।
ऐसी खबर बना देते सच्ची खबरों के दीवाने।
लोकतंत्र के यही रहे हैं 1 सच्चे चौथे ये स्तंभ।
आज मूक क्यों सच्ची खबरें चुप हैं ये स्तंभ।
होतेथे माननीय समाज में आदर के यह पात्र।
अब ये कर्मधर्म हैं ऐसे इनके न रहगए सुपात्र।
तुम सच्ची खबरों के स्वामी देश के जिम्मेदार।
कलम चले सदा सच खातिर बनिए जिम्मेदार।
अब तो पत्रकार केवल सत्ता की नीति बखानें।
दिखे नहीं गड़बड़ी एक भी ऐसी नीति बखाने।
जिनके कलम में होती थी तलवारों जैसी धार।
शासन सत्ता से बचते हैं नहीं ठानता कोई रार।
देखो राजा राममोहनराय आजकी पत्रकारिता।
कैसे मूक बघिर है सच्ची नहीं रही पत्रकारिता।
शासन की लगाम से अब तो बँधे यह पत्रकार।
नहीं खिलाफत कर सकतेहैं ऐसे है ये सरकार।
सच्चे एवं निर्भीक निडर अब दिखें ना पत्रकार।
हैं भी कुछ आज अगर तो कहर सहते पत्रकार।
प्रिंट मीडिया हो चाहे ये इलेक्ट्रॉनिक हो चैनल।
वही छापते दिखाते हैं सरकार चाहे जो चैनल।
शासन सत्ता के खिलाफ जो चलता है पत्रकार।
देखें होंगें आप सभी ने उसका हस्र भी सरकार।
कितनों ने है पत्रकारिता में अपनी जां ये खोया।
बड़े-2 माफियाओं से लड़ टक्कर लेकर है रोया।
जान गँवाई है अपनी परिवार संग में भुगत रहा।
जोखिम भरी पत्रकारिता का फल है भुगत रहा।
जनता को भी हक़ है वह भी जाने क्या सच्चाई।
सच क्या है एवं झूठ है क्या खबरें तोदोनों आई।
उन्हें प्रणाम है बारंबार जो सच ही सदा लिखे हैं।
सच्ची कड़ुई बेबाक खबरों को ही सदा लिखे हैं।
पत्रकारिता को चाहिए मिलना स्वतंत्र अधिकार।
पत्रकार को रहे निडरता से लेखन का अधिकार।
रचयिता :
डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव
वरिष्ठ प्रवक्ता-पीबी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ प्र.