मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और समाज की सबसे छोटी ईकाई को परिवार कहते हैं।
परिवार दो प्रकार के होते हैं- पहला एकल परिवार और दूसरा संयुक्त परिवार होता है। एकल परिवार में मां-बाप और बच्चे रहते हैं, जबकि संयुक्त परिवार में मां-बाप और बच्चों के साथ दादा-दादी व घर के अन्य सदस्य जैसे- चाचा-चाची,बुआ,ताऊ-ताई आदि एक साथ एक ही घर में,एक ही छत के नीचे रहते हैं और सांझा रसोई शेयर करते हैं।
इन दिनों ज्यादातर लोग जॉब और अन्य कामों के सिलसिले में अपने परिवार से दूर किसी अन्य शहर में रहते हैं और यही कारण है कि इन दिनों एकल परिवार की संख्या बढ़ती जा रही है।
अब आइए हम दोनों प्रकार के परिवारों का विश्लेषण कर लेते हैं।
• संयुक्त परिवार के लाभ -:
यहॉं हर सदस्य का सहयोग होता है और किसी भी समस्या के लिए सभी खड़े रहते हैं। कोई परेशानी बड़ी नहीं लगती, बड़ी समस्या भी आसानी से हल हो जाती है। कोई भी त्यौहार हो उसमें सभी मिल जुलकर कर मनोरंजन करते हैं। परिवार के हर सदस्य में आपसी सामंजस्य की भावना पनपती है। ऐसे परिवार में बच्चों की अच्छी परवरिश और पढ़ाई हो जाती है।
इस तरह के परिवार में सदस्यों पर कुछ रोकटोक होती हैं, जिसके कारण उनमें अनुशासन बना रहता है। संयुक्त परिवार में रहने से हर सदस्य में अपनेपन और एकता की भावना रहती है।
जो हम किताबों से नहीं सीख सकते वो सब पारिवारिक सदस्यों के सानिध्य में चुटकियों में सीख जाते हैं।
• संयुक्त परिवार से हानि -: यदि परिवार का कोई एक सदस्य दुर्व्यवहार करता है तो उसका असर परिवार के अन्य सदस्यों पर भी पड़ता है। हर परिवार में कुछ लोग चालाक किस्म के होते हैं, जिसके कारण परिवार के कुछ सदस्यों को ज्यादा काम करना पड़ जाता है। ऐसे परिवार में अक्सर पैसों और खर्च को लेकर छोटी-बड़ी बातें होती रहती हैं। संयुक्त परिवार के कामकाजी सदस्य पर बोझ ज्यादा होता है, जिसके कारण कई तरह की समस्याएं पैदा होती रहती हैं। संयुक्त परिवार में जब एक मत नहीं होता तो किसी भी चीज के निष्कर्ष पर पहुँचने में समय लगता है।
• एकल परिवार से लाभ -:
एकल परिवार में व्यक्ति अपने परिवार की जिम्मेदारियों को ज्यादा अच्छे से समझता है और बेहतर ढंग से निभा पाता है। इस तरह के परिवार में व्यक्ति जो कमाता है वह अपने परिवार के लोगों के सुनहरे भविष्य के लिए कमाता है। व्यक्ति के कमाई का फायदा उसके बच्चों को ही मिलता है। एकल परिवार में व्यक्ति अपने अनुसार बजट निर्धारित करते हुए आवश्यक बचत भी कर लेता है। एकल परिवार में बच्चे की देखभाल और भरण-पोषण अच्छे से हो सकती है। बाकी लोगों की तुलना में पारिवारिक मतभेद होने की आशंकाएँ कम होती हैं।
• एकल परिवार से हानि -:
एकल परिवार में व्यक्ति को हर समस्या के लिए अकेले ही लड़ना पड़ता है। किसी भी छोटी-बड़ी परेशानी में व्यक्ति की सहायता करने वाला कोई नहीं होता। एकल परिवार में त्यौहारों पर आनंद नहीं आता, क्योंकि कम लोगों में त्यौहार का मज़ा नहीं आता है। बच्चों में अकेले रहने की आदत पड़ने लगती है, जिससे उनके अंदर सामंजस्य और समझौते की भावना विकसित नहीं हो पाती। यदि मां-बाप दोनों वर्किंग हैं तो बच्चे का सम्यक पालन-पोषण नहीं हो पाता है।
अन्ततः हम यही कहना चाहेंगे कि संगठन में जो शक्ति है वह बिखराव में नहीं हो सकती। अच्छाइयों और बुराइयों का सम्मिश्रण ही समाज है।
आवश्यकता है अच्छाइयों का चयन किया जाए और बुराइयों को दूर भगाया जाए। मेरे विचारानुसार मध्य का मार्ग सर्वोत्तम होता है।आप समझ ही रहे होंगे कि मैं क्या कहना चाह रही हूँ मेरा तात्पर्य यह है कि समयानुकूल एकल+संयुक्त परिवार का संयोजन किया जा सकता है और दोनों तरह के लाभान्वित होते हुए सानन्दित जीवन के भागीदार बन सकते हैं।
अवसरानुकूल सहृदयता और विलेक का परिचय देते हुए नया उदाहरण प्रस्तुत करने का वक्त आ गया है उसका सहर्ष स्वागत करें।
धन्यवाद!
लेखिका –
सुषमा श्रीवास्तव
मौलिक विचार
उत्तराखंड।