संयुक्त परिवार हर गम बाँट लेते है,,
तुम हो कितने भी दुःखी
तुम्हारा साथ नही छोड़ते है।।
बनी रहे तुम्हारे चेहरे पर मुस्कान,
हर सदस्य जतन करता है,,
तुम्हारे सुख में सुखी तो,
तुम्हारे गम में गमगीन रहता है।।
परिवार हो साथ तो
हर दिन त्योहार सा लगतां है
न हो गर अपनो का साथ तो होली भी का
रंग भी फीका सा लगतां है।।
मतभेद कितना भी हो विचारों में
बस तुम मन मे भेद कभी न लाना,।।
बांधकर रहनी हो गर रिश्तों की डोर तो,
तो छोटी छोटी बाते दिल से न लगाना,
सब अपने ही है यहां ,लेकिन तुम किसी से
गैर न बन जाना।।
विपत्ति के समय परिवार ही साथ निभाता है,
जो गैर है वो गैर ही रहेगे,
वो अपना कहा बन पाता है।।
औरो का साथ कुछ पल की खुशियां देता है,
लेकिन अपनो का साथ सूना घर भी हर भरा कर देता है।।
सुमेधा शर्व शुक्ला