भीमा प्रसाद जी भगत राम के बचपन के पक्के दोस्त थे। उनकी बेटी पंछी और उदय भी एक दूसरे को पसंद करते थे। खैर, समय बीतता गया और दोनों के विवाह की घड़ी नज़दीक आ गई। सब रिश्तेदार भी आने लगे। तभी, उदय भी नौकरी से छुट्टी लेकर घर जाने के लिए ट्रेन में बैठ गया। उसके मां पिता भी पलके बिछाए उदय का इंतज़ार कर रहे थे। वह रात की गाड़ी से चलकर प्रातः पहुंचने वाला था। इसी कारण मां को रात में नींद भी नहीं आ रही थी, लेकिन भगत राम जी उन्हें बार-बार सोने के लिए कह रहे थे। मां सोना तो नहीं चाहती थी परंतु बहुत ज़िद के बाद सब सोने चले गए। प्रातः जब उनकी आंख खुली तो सवेरा हो गया था। पदमा देवी जी ने सवेरे सबसे पहले अपना फोन चेक किया, जिसमें उदय की काफी सारी मिस कॉल थी। उदय ने करीब आधी रात में मां को कॉल किया और मैसेज भी किया था, जिसमें लिखा था,”मां मैं आखिरी बार आपकी आवाज़ सुनना चाहता था”, जिसको पढ़ कर उदय के मां पिताजी बहुत घबरा गए। घबराहट में हड़बड़ा कर जब उन्होंने टीवी खोल न्यूज़ चैनल लगाया, जिसमें सारी घटना का प्रसारण चल रहा था, घटना उदय के स्टेशन से थोड़ा पहले की थी।
क्रमशः अगले भाग में।
प्रिया धामा
भिलाई, छत्तीसगढ़
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