उदय के मां-बाप आनन-फानन में घटनास्थल की ओर निकल पड़े। घटनास्थल पर पहुंचकर उसके माता पिता की नज़र चारों ओर उदय को खोज रही थी, पर वह कहीं दिखाई नहीं दिया। पंछी के पिताजी और भगत राम जी के मित्र भीमा प्रसाद भी वहां पहुंच गए थे और उन्होंने बताया कि मरने वालों की लिस्ट में भी उदय क नाम नहीं है। तब सभी घरवालों ने चैन की सांस ली और राहत शिविर की ओर अपने कदम बढ़ाए। यहां वहां सब जगह देखने के बाद भी जब उदय नहीं दिखाई दिया, तब मां बेचैन हो उठी और उनके मन में सिरहन सी दौड़ गई पर बहुत देर बाद भीड़ में कहीं उदय की झलक दिखाई दी। उदय को काफी सारी चोटें आई थी और वह मरते मरते बचा था। उदय को देखकर सभी की जान में जान आ गई। मां ने बेटे को गले से लगा लिया और दूर खड़ी पंछी की आंखें भी नम हो गई, जो अपने पिताजी के साथ वहां आ पहुंची थी। सब से मिलकर उदय की आंखें भी छलक गई। उदय को काफी चोटें आई थी पर फिर भी सब खुश थे कि उनका बेटा सही सलामत है।
समाप्त।
प्रिया धामा
भिलाई, छत्तीसगढ़