“एक ब्राम्हण के ‘सात’ पुत्र थे। सातों पुत्र जब गुरूकुल से शिक्षा ग्रहण कर घर वापस आए
तो, उन्होंने सभी पुत्रों का उनके रूप गुण के अनुसार विवाह करवा दिया।
किंतु छोटे पुत्र ने खेती बाड़ी का काम करना ही तय किया।
जिस कारण उसका विवाह एक निर्धन किसान की बेटी से कर दिया।
ताकि वो गृहकार्य में आलस्य न करते हुए हर कार्य कर सके।
बाकी बहुओं के मायके से मेवा, मिठाई, वस्त्र और आभूषण आते थे।
किंतु छोटी बहू के मायके से कभी कुछ नहीं आता था।
कुछ दिन के उपरांत छोटी बहू के माता-पिता का भी देहांत हो गया।
अब तो मायके के नाम पर कोई बचा ही नहीं।
ससुराल में प्रातः काल से देर रात तक सभी कार्य अकेले ही करती। कोई भी उसके कार्य में हाथ नहीं बंटाता।
वो बीमार हो या थक गई, इससे किसी को कोई मतलब नहीं।
घर का हर कार्य सभी को समय पर मिलना चाहिए।
भोजन में उसे सब के भोजन उपरांत, बचा हुआ भोजन या बासी भोजन ही मिलता।
कपड़े जो बड़ी बहू की उतरन होती वही मिलती।
न तो उसे अच्छा पहनने के लिए मिलता, न ही अच्छा खाने के लिए मिलता। जब भी अच्छा खाने और पहनने की बात करती सास डांट कर चुप करा देती।
सास कहती! तुम्हारा मायका तो ग़रीब था। तुम ने कभी अच्छा खाया या पहना है, जो अब खाएगी।
बाकी बहुएं तो धनाढ्य घरों से हैं।
उन्होंने तो मेवा मिठाई दूध दही घी खाया है।
पटोर ही पहना है।साथ ही उसके मायके वाले बेटियों का ख्याल भी रखते हैं। समय-समय पर सुविधानुसार वस्तुएं भेजते भी हैं।
तुम्हारे मायके में तो कोई है भी नहीं।
पहले था भी तो कहां भेजते थे? तुम को तो जो मिलता है, उसी को अपना भाग्य समझो।
जब छोटे बेटे ने कहा! मां, छोटी बहू को भी अच्छा खाने और पहनने के लिए दे दिया करो।
तो मां उसे भी डांट दिया करती थी। कहती थी! तुम्हारे भाई तो कमाने के लिए शहर गए हैं।
कोई चिकित्सक तो कोई लेखाकार कोई शिक्षक। बाकी भाई बड़े बड़े कारखानों में काम करते हैं। वहां से पैसे भेजते हैं तो, उनकी पत्नियों को तो अच्छा खाना और अच्छे कपड़े मिलेंगे ही।
तुम खेत में काम करने की इच्छा जाहिर कर खेत में काम करते हो।
तो तुम्हारी पत्नी को बाकी की सुविधाएं कहां से मिलेंगी?
अब दोनों ही पति-पत्नी चुपचाप काम करते। जो भी मिलता खाते और सो जाते।
छोटी बहू जब गर्भवती हुई तो उसका फिर से अच्छा खाने का मन करने लगा।
उसने अपने पति से कहा! मेरी खीर पूरी खानें की इच्छा हो रही है।
उसके पति ने कहा, ठीक है। आज खीर पूरी बना लो और भोजन लेकर खेत पर आ जाना। वहीं पर दोनों साथ में भोजन करेंगे।
छोटी बहू जब भोजन लेकर खेत पर जाने लगी तो, उसकी सास ने अपने पास बुलाकर कहा, रूको!मैं तुम्हारी जिह्वा पर कुछ लिख देती हूं। तुम खेत पर अपने पति को भोजन करा कर आओ तो मुझे दिखा देना।
उसके उपरांत कोई अन्य कार्य करना।
छोटी बहू जब भोजन लेकर खेत पर गईं तो उसके पति ने भोजन कर लिया और कहा अब तुम भी भोजन कर लो।
उसने कहा मैं कैसे खा सकती हूं। खेत पर आते समय आपकी मां ने हमारी जिह्वा पर कुछ लिख दिया है।
अगर मैंने भोजन किया तो वो मिट जाएगा।
तो आप की मां हमें बहुत गालियां देंगी मारेंगी भी।
उसके पति ने कहा….
क्रमशःअम्बिका झा ✍️
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