“उमा विवाह”
“उमा जन्म से ही बोलना शुरु कर देती है।
सब ने बहुत आश्चर्य भी किया, ऐसा कैसे। फिर धीरे धीरे उमा बड़ी होने लगी। माथे पर अलग सा तेज। रूपवान। हर काम में निपुण।
सहेलियों के साथ तपोवन में जाया करती थी।
फूल पेड़ पौधे चिड़िया रंग बिरंगी तितलियां। उस
तपोवन की अनुपम छटा में सहेलियां खो जाती थीं। उमा तो चुपचाप निकल जाती थी। जहां शिव तपस्या करते थे।
पूरा दिन उनकी सेवा आराधना किया करती थी। फिर रंग-बिरंगे फूलों से पूरी डाली को सजा कर सारी सहेलियां घर आ जाती थीं।
पूजा के समय उमा अपने पिता को फूल बेलपत्र देती हैं।
हिमालय ऋषि उस फूल को देखकर समझ जाते हैं कि यह तपोवन का फूल है। तपोवन उनके राज्य में बहुत दूर नदी के उस पार पड़ता है। जहां बहुत सारे जीव जंतु, जहरीले सांप, बिच्छू, शेर, बाघ आदि रहते हैं। सन्यासी तपस्या करते हैं। हिमालय ऋषि को अपनी कन्या की बहुत चिंता होती है।
मैना को समझा कर कहते हैं कि उमा को तपोवन ना जाने दें ।
फिर उमा को मैना समझाती हैं। उस तपोवन में मत जाया करो। वहां तरह तरह के जहरीले सांप बिच्छू बाघ शेर रहते हैं। तुम जैसी नाजुक कन्या को वहां नहीं जाना चाहिए।
उमा को सारी सहेलियां बुलाने आती हैं। उमा कहती है, मां ने मना किया है। हम नहीं जाएंगे।
सारी सहेलियां बिना उमा के ही तपोवन में जाने के लिए निकल जाती हैं।
तपोवन में जाने का रास्ता एक नदी से होकर गुजरता है। जब महादेव देखते हैं, सारी सहेलियां आ रही हैैंं, परन्तु उमा साथ में नहीं है।
नदी को बढ़ाते जाते हैं। सारी सहेलियां आगे बढ़ते जाती हैं। परन्तु नदी खत्म ही नहीं होती।
सारी सहेलियां कहती हैं उमा के साथ आते हैं तो यह नदी कितनी छोटी होती है।
आज इतनी बड़ी कैसे हो गई। फिर सारी सहेलियां वापस घर की तरफ मुड़ जाती हैं।
पीछे देखती हैं तो वो खुद को नदी के तट पर ही खड़ी पाती हैं। वापस आकर उमा से विनती करने लगती हैं। तुम भी साथ में चलो।
उमा तो खुद ही वहां जाने के लिए व्याकुल रहती है। सारी सहेलियां प्यार से मैना को मनाती हैं। वह मैना से कहती हैं कि उमा बहुत ही रूपवान गुणवान तेजस्वी है। हम लोग उनकी सहेलियां होकर खुद को धन्य मानती हैं ।
अपनी बेटी के रूप और गुण का बखान सुनकर मैना आत्मविभोर हो जाती हैं। वह उमा को तपोवन जाने के लिए हां कह देती हैं।
जैसे ही सारी सहेलियां नदी के तट पर आती हैं। नदी खुश होकर उछलते हुए उमा के चरण पखारने लगती है। फिर सारी सहेलियां तपोवन में जाकर फूल तोड़ने लगती हैं। वहीं उमा , जहां शिव तपस्या करते हैं, उनके पास जाकर उनकी सेवा करती हैं। वह मन ही मन प्रार्थना करती है कि आप ही मेरे स्वामी हो।
धीरे-धीरे समय व्यतीत होता है। उमा विवाह योग्य हो जाती हैं।
उमा के पिता को, उमा के विवाह की चिंता होने लगती है। सबसे उत्तम वर घर ढूंढने निकल पड़ते हैं।
परन्तु उमा के गुण रूप और सामर्थ में उन्हें वर नहीं मिलते ।
इधर महादेव देखते हैं कि उमा के पिता वर ढूंढने के लिए निकल पड़े हैं। फिर नारद को बुलाकर अच्छी तरह समझाते हैं। वह उन्हें उमा के पिता के पास भेजते हैं।
नारद जी उमा के पिता के पास आकर महादेव के समझाये अनुसार कहते हैं।
आप अगर सही समझो। एक सर्वगुण संपन्न तीनों लोकों के स्वामी तेजवान रूपवान देवों के देव महादेव उनके जैसा तीनों लोकों में कोई नहीं।
अगर आप कहो तो मैं उनसे आप की कन्या के विवाह के लिए बात करूं।
इतने सुंदर रूपवान तेजवान वर को पाने के लिए, उनके यहां कन्या पक्ष की कतार लगी रहती है। कहीं हमें जाने में देर ना हो जाए। हिमालय महादेव के इतने सारे गुण और रूप का बखान सुनकर ही मोहित हो जाते हैं।
देखने की इच्छा भी नहीं करते। वह नारद से कहते हैं। आप कुछ भी करके हमारी कन्या का विवाह महादेव से करवा दीजिए।
फिर महादेव सारे देवता सहित भूत प्रेत कीट पतंग सांप बिच्छू सारे जानवरों को अपने विवाह में आमंत्रित करते हैं। सबसे आगे ब्रह्मा विष्णु सहित तैंतीस कोटि देवता रथ सजाकर पाट पीतांबर से सुसज्जित निकलते हैं। बारात की अनुपम छटा देख कर सारे नगरवासी अपने अपने घरों के सामने निकल आते हैं। सारे के सारे अपलक निहारने लगते हैं।
कुछ लोग आगे आकर के ब्रह्मा विष्णु सहित कुछ देवताओं से पूछने लगते हैं। आप उमा के होने वाले वर हो।
सारे देवता कहते हैं नहीं। हम लोग तो बाराती हैं। वर तो पीछे आ रहे हैं।
सारे नगर वासियों को लगता है। जब इतनी अलौकिक बारात हैं तो, दूल्हा कितने सुंदर होंगे।
तभी शिव जी अपने भूत प्रेत कीट पतंग सांप बिच्छू सहित बूढ़े बैल पर बैठे हुए भस्म रमाए गले में सर्प लपेटे हाथ में डमरू ले आ गये। सारे नगर वासी शिव के इस विकराल रूप को देखकर सांप बिच्छू से डर कर भाग गए।
प्रजा मैना से जाकर कहती है। इतने बड़े राजा, इकलौती कन्या के लिए ऐसा वर कैसे ढूंढ लाए। जब हम लोग देखकर डर गए तो उमा तो देखते ही मर जाएगी।
सबकी बातें सुनकर मैंना खुद ही देखने जाती है। वह शिव के विकराल रूप को देखकर डर से मूर्छित हो जाती हैं।
उमा को लेकर घर में चली जाती है। फिर दरवाजा बंद कर लेती है।
कहती है हमें ऐसे बूढ़े वर से अपनी कन्या का विवाह नहीं करना।
उमा मन ही मन महादेव से आराधना करती हैं। हे शिव आप अपना रुप बदलिए अपने अलौकिक रूप का सबको दर्शन करवाइए। फिर शिव अपना रूप बदलते हैं।
पीतांबर पहन तिलक लगाए, सर पर चांद,
गले में मोतियों की माला, बहुत ही सुंदर विलक्षण तेज। उनके रूप को देखकर सब देखते ही रह गए।
फिर नारद जी मैना के पास आकर समझाते हैं। वह मैना से कहते हैं। एक बार और देख लो। अगर पसंद ना आए तो कन्या का विवाह मत होने देना।
मैना शिव के अलौकिक रूप को देखकर खुश हो जाती है। मैना तुरन्त विवाह के लिए मान जाती हैं।
परीक्षण का थाल ले घर से बाहर आती है। शिव जी
अपनी सास को परीक्षण करते देख उनसे हंसी ठिठोली करने लगते हैं।
जिसे देख कर सारी स्त्रियां कहने लगती हैं, जमाई सास से हंसी ठिठोली कैसे कर सकते हैं। क्या आपकी मां या बहन ने समझाया नहीं। फिर शिवजी कहते हैं। हमें तो लगा भाभी या साली होंगी।
क्योंकि सास परीक्षण नहीं करती। ऐसा सुनकर मैंना
शर्मिंदा हो जाती है।
वह किसी और से परीक्षण करने के लिए कहती हैं।
सारे विधि विधान के साथ उमा और शिव का विवाह संपन्न होता है । शिव और उमा जब कोबर में आते हैं।
दीवार पर बहुत सारे जानवरों के चित्र बने रहते हैं।
शेर बाघ सांप बिच्छू। शिव जी हाथ में जल लेकर बाघ के ऊपर छिड़क देते हैं। जिससे बाघ जीवित होकर कोवर में खड़ा हो जाता है। वह वहां बैठी उमा को खा जाता है।
मैना जब आती है और अपनी कन्या को वहां नहीं पाती।
उसके स्थान पर बाघ को देखकर चिल्लाने लगती है। हमारी कन्या कहां गई?
शिव जी कहते हैं कोवर में फूल और झाड़ियों का। चित्र होना चाहिए ,
जानवरों का यहां क्या काम। उमा को बाघ ने खा लिया। अब हमारा यहां क्या काम।
हम भी अपने घर जाते हैं।
फिर मैंना रोने लगी और शिवजी अंतर्ध्यान हो गए।।” क्रमशःअम्बिका झा ✍️
बहुत ही सुंदर 🍇🌹🥀🥀🙏💅💅💅💅💅💅
Bahut hi achi kahani hai
Kya bat hai bahut hi sundar carnan kiya hai