“लिली जन्म”

“पतझड़ के दिन तो आते ही हैं।
पेड़ पौधे हो,या फिर इंसान। पतझड़ तो देवताओं को भी नहीं छोड़ता। फिर हम इंसानों की बात क्या है?
एक दिन महादेव गौरी से नाराज़ होकर, किसी निर्जन स्थान पर चले जाते हैं।
महादेव तपस्या में लीन हो जाते हैं।
समय का कुछ होश नहीं रहता और वर्षों बीत जाते हैं।
इधर ग़ौरी महादेव की प्रतिक्षा में, एक पेड़ के नीचे बैठ जाती हैं।
उनकी करूण पुकार से पेड़ पौधे भी विचलित हो जाते हैं। जिस पेड़ के नीचे  मां गौरी, बैठी रहती हैं।
उसकी करूण पुकार सुनकर पेड़ के पत्ते एक एक कर गिरने लगते हैं।
मां गौरी ना तो नहाती, खाती हैं। ना ही उन्हें अपनी कुछ सुध बुध है।
गर्मी में बैठी बैठी मां गौरी अपने हाथ और पैरों से रगड़ रगड़ कर मैल छुड़ाने लगती हैं।

फिर उसी मैल की एक आकृति बनाती हैं।
शिव महादेव को ध्यान में रखते हुए, उनके नेत्रों से अश्रु धारा निकलने लगी। जो सीधे महादेव के दिल से टकराते हुए, उस आकृति पर गिरने लगी।
जिससे मां गौरी के मैल से बनी आकृति में जान आ गई। वह आकृति नागिन के रूप में जन्म ले लेती है।
इधर महादेव, मां गौरी के आंस से विचलित हो, तत्काल मां गौरी के सामने आ जाते हैं।

वह गौरी से कहते हैं!
बहुत ही सुन्दर बेटी है हमारी।
फिर महादेव और मां गौरी उनका नाम लिली,रखते हैं। फिर दोनों ही खुश होकर लिली के साथ खेलने लगते हैं।

महादेव और मां गौरी के मिलते ही पेडों पर हरियाली छा जाती है। फिर सभी पेडों से फूलों की बारिश होने लगती है। पतझड़ के बाद बसंत लौट आती है।यही प्रकृति का नियम है।

उसी समय में नाहर नामक राजा को, उनकी एक सौ आठ रानियों से एक सौ आठ  पुत्र प्राप्त होते हैं।
जो पांच वर्ष की उम्र में शिक्षा के लिए गुरु आश्रम में रहने जाते हैं। जंगल में लकड़ी काटते समय, नाहर राजा के बड़े पुत्र बैरसी, लिली को पेडों पर लटकते देख, उनके साथ खेलने लगते हैं।
माता पिता के लाड प्यार में लिली कुछ ज्यादा ही चंचल और नटखट हो जाती है।
किसी की बात नहीं मानती और दिन भर जंगल में पेडों पर लटकती रहती है।इस डाल से उस डाल।
माता पिता भी उन्हें देख कर खुश होते थे।
किसी की बात नहीं सुनने वाली लिली, बैरसी की हर बात मानती है।
जिसे देखकर महादेव बैरसी को लिली की देखभाल और शिक्षा के लिए रख लेते हैं।

कुछ समय बाद, महादेव बैरसी से कहते हैं। लिली को धर्म कुंड में स्नान करादें और सौभाग्य कुंड में पैर का अंगूठा डुवा कर ले आएं।
बैरसी लिली के साथ उछलते कूदते कुंड के पास जाते जाते भूल जाते हैं। महादेव ने क्या कहा था?
फिर लिली को ले जाकर, सौभाग्य कुंड में स्नान करा देते हैं, और धर्म कुंड में अंगूठा डुबा देते हैं।
महादेव को पता चलता है। महादेव, बैरसी पर नाराज़ हो जाते हैं।
बैरसी अपनी भूल के लिए महादेव से क्षमा मांगते हैं।
बैरसी और लिली दिन भर एक साथ रहते हैं। जिस कारण दोनों में प्रेम हो जाता है।
महादेव यह जानने के बाद दोनों का विवाह करवा देते हैं।

इधर नाहर राजा के एक सौ आठ पुत्र बैरसी सहित अपनी शिक्षा पूरी कर, अपने राज्य वापस आते हैं। राजा को पता चला कि, उनके पुत्र ने एक नागिन से विवाह कर लिया है। उन्हें कुछ ज्यादा खुशी नहीं हुई। परन्तु भाग्य का लेख समझ कर चुप रह गए।

क्योंकि लिली घर गृहस्थी में नहीं पली बढ़ी थी
तो, उसे घर का एक भी कार्य नहीं आता था।
सास – ससुर,देवर से बिल्कुल नहीं बनती थी।
बस पति का प्यार ही मिलता और लिली उससे ही बहुत खुश थी।
क्रमशः

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2 thought on ““श्रावण माह व्रत कथा” भाग-३२”
  1. शानदार लाजवाब बहुत खूब 🌴🌴👌👌🌹🌹🌱🌱👌👌🏝️🏝️🌹🌹👌👌🥀🥀🥀🌹🌹👌👌

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