“बाल-बसंत कहते हैं, ठीक है। हम कल ही आपकी ससुराल आकर आप को अपने साथ बहन बनाकर अपने घर ले चलेंगे।घर आकर बाल-बसंत अपनी मां को सभी बातें बताते हैं। उनकी मां ने कहा! ठीक है। आप उन्हें यहां लेकर आ जाओ।किंतु ध्यान रहे! वो जब तक यहां रहेंगी, आप लोग इंसानी वेश में ही रहना। नहीं तो, हो सकता है आप लोगों को, असली रूप में देखकर वो डर जाए और यहां रहने में उन्हें असुविधा हो।बाल-बसंत दूसरे दिन छोटी बहू की ससुराल पहूंच गए। उन्होंने कहा!हम इनके दूर के रिश्ते में भाई हैं।इनके विवाह के वक्त हम छोटे थे। इसलिए हम नहीं आ पा रहे थे। किंतु अब हम बड़े हो गए हैं तो, अपनी बहन को कुछ दिनों के लिए अपने साथ लेकर जाना चाहते हैं।ससुराल वाले सहर्ष तैयार हो गए और छोटी बहू को विदा कर दिया।बाल-बसंत दोनों भाई छोटी बहू को अपने घर लेकर आए। जो कि राज महल से कम नहीं था।छोटी बहू आश्चर्यचकित हो, महल में रखी वस्तुओं को देखती रही।सैकड़ों नौकर चाकर लगे थे। घर में सभी नाग-नागिन इंसानी भेष में छोटी बहू का स्वागत सम्मान करते हैं।तरह तरह के पकवानों से महल सुगंधित हो रहा था।इतना आदर सत्कार छोटी बहू को कभी नहीं मिला था।ख़ुशी से उसके पांव जमीन पर नहीं पड़ रहे थे।उसे भ्रम हो रहा था, कहीं यह सुंदर स्वप्न तो नहीं।वो मन-ही-मन कहती हैं! अगर यह स्वप्न है तो स्वप्न ही सही।वह खुशी से आह्लादित हो रही थी।महल में सब उसको एक राजकुमारी की तरह रख रहे थे।बाल-बसंत और उनकी मां छोटी बहू को आग्रह कर कर के भोजन करवा रहे थे। भोजन उपरांत सोने के लिए लाल पलंग पर मखमली गद्दे लगे थे। वह उसे शयन कक्ष में लेकर आये। बाल-बसंत से तब छोटी बहू ने कहा!तुम लोग मुझ अभागन का इतना ख्याल रख रहे हो।सचमुच तुम लोग मेरे लिए ईश्वरीय वरदान हो।जैसे आज तुम लोगों ने हमारे मन की क्षुधा को शांत किया है, शीतल किया है, वैसे ही तुम जुगों जुगों तक शीतल रहोगे।मैं आशिर्वाद देती हूं। जब तक पृथ्वी पर जीवन रहेगा, तब तक तुम लोग यहां निवास करोगे अंत में बैकुंठ वास करोगे।शाम होते ही नाग देवता घर के कोने में अपना फन फैलाकर बैठ जाते हैं।जब घर के हर कोने में दियों से रोशनी करते हैं तो, छोटी बहू दिया रखने वाली दियठ समझकर नागराजा के फन पर दिया रख देती है।नागराज का मस्तक जलने लगता है।नागराज नागिन से आकर कहते हैं।कैसे इंसान को तुम लोग घर लेकर आ गए हो?इंसान और सांपों का कभी मेल हो सकता है क्या?रोज मेरे फन पर दिया रख देती है। जिससे मेरा मस्तक जल जाता है।अच्छी तरह समझा दो, जाकर उस इन्सानी कन्या को। नहीं तो मैं डस लूंगा।नागिन कहती है! ठीक है, मैं समझा देती हूं। आप चिंता मत करो।नागिन छोटी बहू से कहती है!आप को कोई काम करने की आवश्यकता नहीं है।इतने सारे नौकर चाकर हैं। आप स्वयं कुछ मत कीजिए। आप उनसे कहिए वो करेंगे।आप तो जो खाना है, जो पहनना है, जो आभूषण चाहिए, कहिए। यहां आप का मायका है। आराम से रहिए। कोई काम मत करिए। छोटी बहू कहती है ठीक है। किंतु..।।

क्रमशः अम्बिका झा ✍️

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