“संध्या के साथ विवाह के उपरांत महादेव अधिक समय घर से बाहर ही व्यतीत करने लगे।
उन्हें इस बात का डर बना रहता था कि, कहीं दो बहनों के बीच लड़ाई का वो कारण न बन जाए।
घर में शांति बनाए रखने का उनके पास एक मात्र यही उपाय बचता है।
दिन भर घर से बाहर रहें रात्रि को भोजन उपरांत आराम करें।
परन्तु कहते हैं ना होनी को कौन टाल पाया है।
महादेव के संध्या के साथ विवाह, एवं उनके दो पत्नियों के साथ एक ही घर में रहने की बात जब महादेव के पहली पत्नी को पता चली तो, वो भी महादेव के पास आकर साथ रहने की जिद्द करने लगी।
कहने लगी! अगर आप दो पत्नियों के साथ एक ही घर रह सकते हैं तो, हमारे साथ क्यों नहीं?
हम भी आज़ से यहीं, आप सब के साथ ही रहेंगे।
महादेव असमंजस की स्थिति में आ, चुप रह गए।
किंतु अब घर में रोज रोज प्रतिस्पर्धाएं होने लगीं।
रोज लड़ाई के कारण और विवाद उत्पन्न होने लगे।
कभी भोजन को लेकर तो, कभी वस्त्र को लेकर। कभी महादेव के साथ एकांत में बैठने को लेकर।
रोज रोज सभी बहनें महादेव के पास एक दूसरे की शिकायतें लेकर आने लगीं।
बहुत ही शीघ्र महादेव इस चक्र में उलझकर रह गए।
रोज रोज के परिवारिक विवादों से तंग आकर एक दिन महादेव ने अपनी पत्नियों को बुलाकर कहा।
देखिए! ऐसा संभव नहीं है। एक ही पुरूष एक से अधिक स्त्रियों के साथ रहे।
ऐसा कभी नहीं हो सकता।
हां हमसे अपराध हुआ है। हमने आप सभी से विवाह किया है। किन्तु भविष्य में कोई पुरुष इस कार्य के बारे में न सोचे, इसलिए हमें आज ही निर्णय लेना होगा।
हां यह भी सच है हम आप सब से एक सा ही प्रेम करते हैं। किंतु आप सभी के साथ एक घर में ही शांति पूर्वक नहीं रहा जा सकता।
आप लोग स्वयं शक्ति का रूप हैं। शान्ति और सहनशीलता की देवी हैं। अगर आप के द्वारा भी विवादित स्थितियां उत्पन्न हो सकती हैं तो,
जो सामान्य स्त्री हों वो क्या ही करें।
इसलिए आज से यह तय हुआ, एक स्त्री के होते हुए पुरुष दूसरा विवाह नहीं कर सकता।
यह समाजिक, परिवारिक एवं शास्त्र के दृष्टिकोण से भी अपराध माना जाएगा।
इसलिए आप सबअपने-अपने स्थान को लौट जाएं और सृष्टि को सुचारू रूप से चलाने में हमारा सहयोग करें।
उमा आप पृथ्वी पर कुल देवी के रूप में स्थापित होंगी।
सती का अंश जहां जहां गिरा, वहां वहां शक्तिपीठ बनेंगे और आप वहां निवास करेंगी ‌
गौरी, आप पृथ्वी पर मां गौरी के नाम से विख्यात होंगी।
सुहागिन स्त्रियां आप को पूजकर अखंड सौभाग्य को प्राप्त करेंगी।
संध्या आप संझा फूल बन कर दोपहर बाद खिलेंगी।
गंगा पृथ्वी पर नदी के रूप में सतत् बहती रहेंगी और पापियों का उद्धार करेंगी।
पार्वती आप पर्वत पर जाकर रहेंगी। हम आपके साथ पर्वत पर ही रहेंगे।
इतना सुनकर सभी देवियां अपने अपने स्थान को लौट गईं।
ग़ौरी ने कहा! जैसा आप चाहते हैं, हम वही करेंगे किंतु ,
मेरी कुछ इच्छाएं हैं। पहले आप उन्हें पूरा कीजिए फिर मैं जाऊंगी। महादेव कहते हैं! कहिए देवी! आपकी क्या इच्छाएं हैं?
क्रमशः
अम्बिका झा ✍️

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