“”संध्या विवाह”

“हिमालय राज की पांचवीं पुत्री संध्या थी। गौरी के विवाह में वो महादेव से घुल-मिल जाती है। महादेव उन्हें बहुत मानते हैं। जब संध्या विवाह योग्य हुई तो,हिमालय ऋषि वर की तलाश करने निकले।किंतु उनकी बेटी के योग्य सुंदर गुणी दामाद उन्हें नहीं मिलता।जहां रूप पसंद आता वहां गुण नहीं होते। जहां गुण पसंद आता वहां रूप ही पसंद नहीं आता।जहां दोनों ही पसंद आते, वहां वर की आयु ही ज्यादा होती।ऐसे ही बहुत समय निकलने के उपरांत, महादेव को पता चला संध्या के लिए वर की तलाश की जा रही है।महादेव अपने ससुराल चले गए।वहां संध्या के रुप गुण को देखकर मोहित हो गए।संध्या ने जब महादेव के रूप को देखा तो, वो भी महादेव को देखकर मोहित हो गई।महादेव ने संध्या से विवाह कर लिया।।यहां महीनों व्यतीत हो जाने के बाद, ग़ौरी चिंतित हो गई। महादेव गए तो कहां गए? उनका कोई पता ठिकाना ही नहीं है।कुछ दिन उपरांत गौरी को पता चला कि, महादेव ने संध्या से विवाह कर लिया है। गौरी शोक ग्रस्त हो, चन्दन के वृक्ष के नीचे बैठकर रोने लगी।गर्मी अधिक होने के कारण शरीर से घाम ( यहां घाम से घमौरी तात्पर्य है ) निकलने लगी।उसी घाम से मैल छूटने लगा। गौरी अपने हाथों को रगड़ रही थी। उन्हें कुछ सुध नहीं था।मैल अधिक मात्रा में निकल गया तो, गौरी ने उस मैल को हाथों की रगड़ से नागिन की आकृति दे दी।वो रोती जा रही थी और उनके अश्रु उस आकृति पर पड़ते जा रहे थे। जब महादेव को एहसास हुआ कि गौरी उनकी याद में रो रही हैं। तभी उन्होंने तत्क्षण संध्या को साथ लिया और वापस आ गए।।उन्होंने देखा गौरी सुध-बुध खो कर बैठी रो रही है।उनके हाथ में मिट्टी की नागिन है। उन्होंने तत्काल उस मिट्टी की नागिन में जान डाल दी।नागिन लहलहाने लगी।तभी महादेव गौरी से कहते हैं! आप क्यों रो रही है?नागीन की ओर इशारा करते हुए कहते हैं! यह देखिए, आपकी कितनी सुन्दर बेटी है।इसी की देखभाल के लिए मैंने दूसरा विवाह किया है।गौरी कहती हैं क्यों? आपको दूसरा विवाह करने की आवश्यकता क्यों हुई?क्या अब मैं पहले की भांति सुंदर नहीं हूं? क्या मैं अच्छा भोजन नहीं बनाती? क्या मैं घर को स्वच्छ और पवित्र नहीं रखती? क्या मैं आपके धार्मिक कार्यों में बाधा उत्पन्न करती हूं? क्या मैं आपके वंश को बढ़ाने में असमर्थ हूं? क्या मैं आपके परिजनों का सम्मान नहीं करती? क्या मेरे चरित्र में कोई खोट है? क्या मुझेसे आपके सेवा में कोई चूक हो गई, या आपकी इच्छा के विरुद्ध मैंने कोई कार्य किया है?बताइए महादेव आपके दूसरे विवाह का कारण क्या है? महादेव कहते हैं! गौरी आप तो सर्वगुण संपन्न हो। आप में कोई कमी नहीं है।किंतु मेरा हृदय ही एकाग्र नहीं रह पाया। जो आपके होते हुए मैंने दूसरी स्त्री को देखा। यह मेरा दुर्गुण है।हमें क्षमा कर दीजिए। ग़ौरी हमसे अपराध तो हो गया है।किंतु आप दया की देवी हो। सहनशीलता में आपसे बढ़कर अन्य कोई नहीं।आप हमें क्षमा कर दीजिए।महादेव के ऐसा कहने पर गौरी संध्या को गालियां देने लगी।कहती है! तुम्हारे कुल का विनाश हो। तुम निसंतान ही रहो।मायके में सब की मौत हो जाए।तभी संध्या कहती हैं? नहीं। दीदी आप हमें गाली मत दो। हम तो आपकी छोटी बहन हैं।।हमें ज्ञात नहीं था, ये आपके पति हैं। हमने अज्ञानता में विवाह कर लिया है। किंतु मैं वचन देती हूं कि, मैं कभी भी आपके पति के नजदीक नहीं जाउंगी।मैं आपके घर का हर कार्य करूंगी। बच्चों को पालूंगी।दिन भर गृह कार्य करूंगी और शाम होने से पहले ही मैं, घर के किसी एंकात कोने में जाकर बैठ जाऊंगी।आप मुझे या मेरे मायके वालों को गाली मत दो।गौरी स्तब्ध रह गई संध्या के मुख से इस प्रकार का वार्तालाप सुनकर।फिर वो चुप रह गई। क्रमशः

अम्बिका

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