“गौरी ससुराल में रहने लगती है।जो गौरी सहेलियों की झुंड में राजकुमारियों की तरह रहा करती थी,वही ग़ौरी अकेली रहती है।एक दिन महादेव से कहती है क्या आपकी मां बहन कोई नहीं? कोई दूर की रिश्तेदार भी नहीं है? आप जिन्हें बुला लेते। आप तो दिन भर अपने कार्य से घर से बाहर रहते हैं। यहां अकेले मेरा मन नहीं लगता। खाली घर काटने को दौड़ता है।महादेव कहते हैं। मेरी मां तो है किन्तु मेरे घर का रिवाज ही कुछ ऐसा है,जिस कारण मां बहू के सामने नहीं आना चाहती।गौरी कहती हैं ऐसा क्या रिवाज है? जो एक सास अपनी नई बहू के पास नहीं आ रही।जबकि बहू का स्वागत तो सास को ही करना चाहिए।सास के होते हुए एक बहू कभी अकेली नहीं हो सकती।महादेव कहते हैं।जब पहली बार सास अपनी बहू के पास आती है तो बहू गर्म चावल के पानी से सास के पैर धोती है।पहली बार हमारे यहां बहू के हाथ का बासी भोजन करती है। बहू की उतरन पहनती है।इस कारण मेरी ‘मां’ बहू के सामने नहीं आना चाहती।गौरी कहती है। अगर ऐसा रिवाज है तो हम अवश्य करेंगे। आप अपनी मां को लेकर आ जाओ।महादेव ग़ौरी की मां मैना के पास जाकर कहते हैं।आपकी बेटी ने कठिन व्रत किया है।उसका व्रत आपके हाथों ही सम्पन्न हो सकता है।इसके लिए आपको घूंघट में मेरे साथ चलना होगा, और बिना व्रत पूर्ण हुए आप चुप ही रहोगी। आप को कुछ भी नहीं बोलना है।मैंना ग़ौरी का व्रत पूर्ण करने हेतु, महादेव के साथ जाने के लिए सहर्ष तैयार हो जाती है।जब महादेव मैना को ले घर के मुख्य दरवाजे पर आते हैं।कहते हैं।गौरी मां आ गई इनका आदर सत्कार करिए।गौरी चावल का पानी लेकर आती हैं।सास का पैर धोती है।सास को बैठने के लिए आसान दे रसोई में जा भोजन परोस कर लाती हैं।सासू मां को भोजन करा उन्हें पलंग पर आराम करने का कहकर,वो महादेव के पास आ कहती हैं!क्या आप के परिवार में सास अपनी बहू से घूंघट करती है?महादेव कहते हैं पहली बार ऐसा होता है।दूसरी बार ऐसा कुछ नहीं होता।गौरी दूसरे दिन सास को साड़ी देती है नहाने के लिए।उसके बाद तेल और कंघी लेकर सास के बाल बनाती है।बाल बनाते समय गौरी मैना का मुख देख लेती है।गौरी क्रोधित हो जाती हैं।कहती हैं आप ने हमसे इतना बड़ा छल किया।आप अपनी मां का कहकर मेरी मां को लेकर आ गए।जानबूझकर आप ने मेरी मां को चावल के गर्म पानी से पैर धोने के लिए कहा। क्या मेरी मां के पैर जलाकर आपको आनन्द की अनुभूति होती है?महादेव ग़ौरी से कहते हैं।गौरी आप क्रोधित क्यों है?जब मेरी मां की बात थी तो आप ने सहर्ष स्वीकार कर लिया। जब आपकी मां है तो गुस्सा क्यों आ रहा है? सास और मां में भेद क्यों?गौरी कहती हैं। आप ने हमसे छल किया इसलिए हम गुस्सा है।आप झूठ बोल कर मेरी मां को लाए, इसलिए गुस्सा है।नहीं तो मेरा ईश्वर जानता है कि मैंने आपकी मां और मेरी मां में कोई भेद नहीं किया।आप ने तो गर्म चावल का पानी कहा था। किन्तु पुराने रिवाज के नाम पर हम मां को कष्ट नहीं दे सकते। प्रथा का अपमान भी नहीं कर सकते थे। इसलिए ठंडे पानी से पैर धोए थे।भोजन भी हमने सूर्योदय के पहले बना लिया था।जो कि न तो बासी है ना ही ताजा।साड़ी भी मैंने वो पहनने के लिए दी जिसे मैंने मात्र एक बार पूजा में पहना था।मैंने तो रिवाज निभाने के साथ साथ सासू मां के सम्मान का भी ख्याल रखा। किंतु आप ने जो हमसे छल किया इसके लिए हम आपको कभी क्षमा नहीं करेंगे। इसका यही मतलब है भले ही बहू ससुराल को अपना ले, रहने का प्रयास करे। किन्तु ससुराल में कदम कदम पर उसके कर्म शील और निष्ठा की परिक्षा ली जाएगी।जिस कारण ससुराल का हर क्षण स्त्री के लिए चुनौती और संघर्ष पूर्ण रहने वाला है।ऐसा कहकर गौरी पालकी बुला कर सम्मान सहित मां को उनके नगर वापस भेज देती है।।”अम्बिका झा ✍️
