“ग़ौरी-जन्म”
“हिमालय ऋषि की चौथी पुत्री, ग़ौरी का जन्म हुआ। वो बिल्कुल अपनी बहनों की तरह ही चंचल, नटखट,सहनशील , सुंदर ,तेजमयी ,सर्वगुण संपन्न थीं। सती की मृत्यु के बाद महादेव संसार से विरक्त हो गए।निर्जन स्थान पर जाकर तपस्या में लीन हो गए। उनको संसार से कुछ लेना देना नहीं था। उन्हें अपने आप की कुछ भी सुध नहीं थी।इस बीच राक्षसों का उपद्रव बढ़ने लगा।पराक्रमी तारकासुर ने ब्रह्मा जी को तपस्या के द्वारा प्रसन्न कर ब्रह्मा जी से वरदान मांग लिया कि मेरी मृत्यु सिर्फ महादेव के पुत्र के हाथों ही हो ।क्योंकि उसे पता था कि महादेव की पत्नी की मृत्यु हो गई है । वह संसार से विरक्त होकर किसी जंगल में तपस्या कर रहे हैं।अब वह दूसरा विवाह नहीं करेंगे। अतः उनके पुत्र होने की तो बात ही नहीं है।तारकासुर देवताओं को स्वर्ग से भगा, वहां का राजा बन गया । यज्ञ जप बंद करवा, ऋषि मुनि सब को सताने लगा। सुंदर स्त्रियों का अपहरण करने लगा। समस्त संसार में कोलाहल मच गया।सारे देवता और ऋषि मुनि ब्रह्मा जी की सभा में उपस्थित हुए। सारे मिलकर ब्रह्मा जी से निदान पूछने लगे।ब्रह्मा जी ने कहा। जब जब संसार में दानवों ने उपद्रव मचाया है। तब तब शक्ति महामाया दुर्गा ने अवतार लेकर, राक्षसों का संहार कर, संसार को राक्षसों से मुक्त किया है।अतः आप लोग महादेवी की आराधना कीजिए। वह पृथ्वी पर पुनः जन्म लेकर महादेव से विवाह कर आप लोगों को इस संकट से मुक्त करेंगी।ऋषि मुनि देव मनुज सभी देवी दुर्गा की आराधना में लग गये।एक दिन नारद मुनि हिमालय ऋषि के यहां पहुंचे।हिमालय ऋषि ने नारद जी से पूछा । पुत्री ग़ौरी का हाथ देखकर बताइए इनका विवाह किनके संग होगा।नारद जी ने हाथ देखने के उपरांत कहा।इनका विवाह महादेव के संग निश्चित है ।पर ऐसे ही इनका विवाह महादेव जी से नहीं होगा। महादेव अभी हिमालय के जंगल में तपस्या कर रहे हैं। इन्हें नित्य वहां जाकर उनकी सेवा आराधना कर, उनको प्रसन्न करना होगा।।हिमालय ऋषि, नित्य दिन सखियों के संग ग़ौरी को महादेव की सेवा आराधना के लिए भेजने लगे। देवता महादेव की तपस्या भंग कर ग़ौरी की तरफ, महादेव का ध्यान आकर्षित करने के उद्देश्य से,तपोवन में कामदेव को भेजते हैं।कामदेव अपने मित्र बसंत और स्त्री रति के संग वहां पहुंच गए। बसंत की महिमा से सारे ही जंगल फूल बेलपत्र में परिवर्तित हो गए। सुगंधित वन प्रांत सुगंधित फूलों से महक उठा । फूलों पर भंवरे मंडराने लगे। शीतल समीर बसंत बहने लगी। चंद्रमा की ज्योति से वन सुंदर चमकने लगा। बहुत ही सुंदर एवं सुगंधित वातावरण हो गया, पूरे वन का।ग़ौरी सज धज कर बसंती फूलों से श्रृंगार कर सखियों के संग महादेव की पूजा आराधना करने तपोवन में पहुंची।ग़ौरी अत्यंत सुंदर थी। और सिंगार के बाद उनका अंग अंग निखर जाने से और भी सुंदर लगने लगी।जैसे ही ग़ौरी महादेव के नजदीक पहुंची, कामदेव ने अपना काम बाण चला दिया। बाण सीधे महादेव के सामने गिरते ही महादेव के नेत्र खुल गए। उन्होंनेे ग़ौरी की तरफ देखा।ग़ौरी प्रणाम पर कर उनके नजदीक खड़ी हो गयी। ग़ौरी की सुंदरता को देख महादेव आकर्षित हो गए।आपकी सुंदरता का वर्णन कौन कर सकता है। इतना कह महादेव ने उनके आंचल की तरफ हाथ बढ़ाया। स्त्री सहज संकोच वश ग़ौरी उन से थोड़ी दूर हट गयी। वह महादेव को एकटक देखने लगी।महादेव अचानक से ध्यान में आ गये। उन्होंने सोचा कि, अगर वही इस तरह से कामातुर हो जाएंगे तो, औरों का क्या होगा? महादेव इधर-उधर देखने लगे। तभी उन्होंने झाड़ी में छिपे हुए कामदेव को देख लिया।कामदेव को देखते ही महादेव सब समझ गए। महादेव क्रोधित हो उठे। क्रोध में उनका तीसरा नेत्र खुलने के कारण कामदेव जलकर भस्म हो गए।रति अपने स्वामी को भस्म होते देख मूर्छित हो वहीं गिर गयी।होश में आने पर करुण विलाप करने लगी। देवता रति की यह दशा देखकर महादेव से कामदेव को पुनः जीवित करने के लिए प्रार्थना करने लगे। उन्होंने कहा, इसमें कामदेव की कोई गलती नहीं है। हम सब देवताओं ने, आपका ध्यान ग़ौरी की तरफ आकर्षित करने के लिए इनसे ऐसा करने को कहा था।महादेव ने कहा। कामदेव की मृत्यु नहीं हुई है ।सिर्फ उनका शरीर जला है। उनको उनका यह शरीर अभी प्राप्त नहीं होगा। समुंद्र में शम्बर नामक देत्य रह रहा है। रति अभी वहां जा उनके संग रहेंगी। द्वापर में श्री कृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न के रूप मैं जन्म लेंगे। जन्म के तुरंत बाद शम्बर उनको उठा, अपने नगर ले जाएगा। रति वहां पर प्रद्युम्न के रूप मैं कामदेव से मिलेंगी। बड़ा होने पर , प्रद्युम्न शम्बर को मारकर, धन सहित रति के साथ द्वारिका आ, रति के साथ विवाह कर सुख से रहेंगे।।इतना कह कर महादेव अंतर्ध्यान हो गए।।”
अम्बिका झा ✍️