“एक गांव में एक बूढ़ी अम्मा रहती थी। वह नित्य सूर्य उदय से पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नदी स्नान करने जाया करती थी। स्नान करके सूरज को जल देते समय उसने देखा, एक माणिक के पत्ते पर कुछ जीव लहलहा रहे थे।उसे देखकर बहुत ही आश्चर्य हुआ।
क्योंकि आज से पहले उसने इस जीव को कभी नहीं देखा था। तभी उन पांचों जीव ने बूढ़ी अम्मा से कहा ऐ बूढ़ी अम्मा सुन, मैं तुमसे जो कहती हूं, तू गांव में जाकर सबको कहना। आज अपने घर को अच्छे से लीप पोत कर नाग नागिन की आकृतियां घर की दीवारों पर बनाकर ,नीम के पत्ते, दही, नींबू, दूर्वा🍃 लावा और दूध से नाग नागिन को भोग लगाकर पूजन करेगी और सब के घर में आज दूध और छांछ की अलग-अलग खीर बनाकर नाग नागिन को अर्पित करने के बाद आज के दिन सभी लोग भोजन करेंगे।🐛
जिस से मैं सदा ही सारे गांव वालों पर प्रसन्न होकर अपनी कृपा दृष्टि बनाये रखूंगी। स्त्रियों का सुहाग हमेशा बना रहेगा और हर मां की संतान चिरंजीवी होकर आनंद और सुख से रहेंगी।
बूढ़ी अम्मा गांव आकर सबसे कहने लगी। सारे ही गांव वाले उनको बहुत मानते थे। सबने वैसे ही किया। उसी गांव में एक धनी सेठ रहते थे। सैकड़ों नौकर चाकर हाथी घोड़े उनके दरवाजे पर उनकी सेवा के लिए तत्पर रहते थे। उन्हें अपने धन का बहुत ही घमंड था। इसलिए उनके घर की स्त्रियों ने कहा कि यह सब बूढी अम्मा की झूठ में फैलाई हुई अफवाह है। इसलिए उन्होंने यह नहीं किया।।
दूसरे दिन प्रातः उठने पर सारे गांव वाले स्वस्थ और तंदुरुस्त थे। पर सेठ के घर के सारे ही नौकर चाकर सहित धनी सेठ सब मर गए। उसी घर की एक दासी की सहेली ने उसे प्रसाद दे दिया था। जिस कारण बस वह जीवित रह गई। और बूढ़ी अम्मा के पास जाकर विनती करने लगी। जिसने तुम्हें ये सब करने को कहा था, उनसे क्षमा मांग कर फिर से जीवित करने का उपाय पूछ कर आओ।
बूढ़ी अम्मा फिर से नदी के किनारे गयी। हाथ जोड़ कर क्षमा प्रार्थना करने लगी और कहा। अब ऐसा क्या करें। जिससे धनी सेठ के परिवार सहित नौकर चाकर पुनः जीवित हो जाएं।
दरअसल, महादेव लघुशंका करके चले गए थे। महादेव की लघुशंका से उत्पन्न नागिन, महादेव की पुत्री थी। नागिन ने कहा सारे गांव में जाकर देखो जिसके भी बर्तन में रात के बने हुए खट्टे और मीठे खीर बची हो वह लाकर धनी सेठ के पूरे परिवार सहित नौकर चाकरों को खिला दो । उन लोगों से कहो कि पूरी विधि विधान के साथ आज के पंद्रहवे दिन मैना पंचमी के दिन वह ऐसे ही हमारी पूजा करें।🐛
बूढ़ी अम्मा ने वैसे ही किया। गांव में जाकर सबके घरों के बर्तनों से खट्टी और मीठी खीर निकाल कर लेकर आई एक कटोरे में रखकर सबके होठों से लगा दी। सारे ही पुनः जीवित हो गए। उन्होंने कहा कि आज की भूल के लिए उन्होंने क्षमा कर दिया है। अगले पंद्रहवे दिन तुम लोगों जरूर उनकी पूजा करना।🐛
सब ने पंद्रहवे दिन मैना पंचमी के दिन नाग नागिन की पूजा पूरी विधि विधान से कर क्षमा मांगी। नाग पंचमी का नाम दे गांव वाले हर साल इस तिथि को पूजा करने लगे।🐛
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Bahut sunder
Very beautiful story