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श्रम करने वालों के आगे,गहन तिमिर हारा है।
श्रमिकों के कारण ही तो देखो,हरदम उजियारा है।।
खेत और खलिहानों में जो,
राष्ट्रप्रगति के वाहक 
अन्न उगाते,स्वेद बहाते,
जो सचमुच फलदायक 
श्रम के आगे सभी पराजित,श्रम का जयकारा है।
श्रमिकों के कारण ही तो देखो,हरदम उजियारा है।।
सड़कों,पाँतों,जलयानों को,
जिन ने नित्य सँवारा
यंत्रों के आधार बने जो,
हर बाधा को मारा
खेल रहे संघर्षों से नित,जिन पर हर वारा है।
श्रमिकों के कारण ही तो देखो,हरदम उजियारा है।।
ऊँचे भवनों की नींवें जो,
उत्पादन जिनसे है
हर गाड़ी,मोबाइल में जो,
अभिवादन जिनसे है
स्वेद बहा,लाता खुशहाली,श्रमसीकर प्यारा है।
श्रमिकों के कारण ही तो देखो,हरदम उजियारा है।।
              प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे
                   प्राचार्य
              शासकीय जेएमसी महिला महाविद्यालय
                मंडला(मप्र)-481661
                   
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प्रमाणित किया जाता है कि प्रस्तुत रचना व अप्रकाशित है -प्रो शरद नारायण खरे
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