भजन

दोहा

मनमोहन मोहन लगे, बृज की सारी वाम ।

वंशीधर वंशी बजा, बुलाते लेकर नाम।

तर्ज इक बार जो रघुवर की नजरों का इशारा हो जाये।

इक बार जो मेरे मनमोहन, दीदार तुम्हारा हो जाये।

तेरे भजन हर पल गांऊ, नजरों का नजारा हो जाये।

1 हे सृष्टि संचालक गिरधर, तुमने ये जगत रचाया है।

2टेक माया में नर भरमाया है, बिरला ही कोई बच पाये ।2 0.. तेरे भजन हर पल गांऊ 0……..

2 हे श्याम तुम्हारी चौखट पर, कष्टों का निवारण होता है।

2टेक मेरी भी किस्मत चमक उठे,गर कोर कृपा की हो जाये 2 तेरे भजन हर पल गांऊ……0…

3 ये बृज भूमि है, मनभावन,कण कण में राधे श्याम बसे।

2 टेक बलराम श्याम के बृज की रज ,छूते ही पाप क्षय हो जाये, 2 तेरे भजन हर पल गांऊ नजरों का नजारा हो जाये0.

बलराम यादव देवरा छतरपुर

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