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हँसी खुशी से चलती ज़िन्दगी
जैसे अचानक से रुक सी जाती है
जहाँ अपनों से भरे दुनिया होते है
कुछ ऐसे रूठ जाते है की
ये ज़िन्दगी हमारी शून्य सा लगने लगता है……!!
ज़ब ज़ब नज़र पढ़ती है
ज़िन्दगी के उस रिक्त स्थानों पर
जहाँ कोई अपनों का ठिकाना हुआ करता था
तब तब बहते है आँसू आँखों मे
ये ज़िन्दगी हमारी बिलकुल शून्य सा लगता है…..!!
आज वो हँसी नहीं सजती चहरे पर
जो कभी सबको सुकून दिया करते थे
जब चुभने लगती है मुस्कान भी किसी के आँखों मे
होंठ खामोश जैसे सील ही जाती है
जो ये ज़िन्दगी हमारी शून्य सा लगने लगता है….!!
अक्सर भीग जाती है पलकें तन्हाई मे
ज़ब सोचते है ज़िन्दगी के कुछ बीते लम्हो को
जहाँ से शुरू की थीं चलना इस राह-ए-ज़िन्दगी मे
लगता है जैसे वही आकर फिरसे गिर पढ़े है
ये ज़िन्दगी हमारी बिलकुल शून्य सा लगता है…!!
क्या गजब का खेल होता है न किस्मत का भी
जिसके लिए छोड़े दुनिया वही हमसे दूर होता है
रूठ जाते वही अक्सर ज़िन्दगी मे हमसे
जिसके साथ हम अपना हर सांस जिना चाहते है
होजाता है हज़ार टुकड़े इस दिल के
और ये ज़िन्दगी हमारी बिलकुल शून्य सा लगता है….!!
जों साथ न हो ज़िन्दगी मे खास अपनों का
तो ख्वाब आँखों से बिखर जाया करते है
रूठ जाती है नींदे आँखों से न दिन चैन से गुज़रता है
नहीं रह जाता ज़ब अहसास कोई दिल मे 
तब कितना दिलकश तराने हो नैना पर हर लफ़्ज़ शून्य सा लगता है….!!
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नैना…. ✍️✍️
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