वाह रे वाह, शिक्षा प्रणाली

भारत की शिक्षा प्रणाली 
किताबों के बोझ ने
जान बच्चों की ले ली 
स्लेबस की दरों दीवारों मे
कैद हो गया बचपन
होम वर्क मे सिमटे रह गये 
बालपन ये नटखट
आँख खुले स्कूल मे
शाम कटे किताबों मे
थोड़ी कसर जो रह गयी,
वो पूरी कर दी टयूशन ने
कब तक अत्यचार चलेगा
ऐसा दुर्व्यवहार चलेगा
शिक्षा के नाम पर
बचपन का संहार चलेगा
कब तक सीधा खड़ा रहेगा
झुके हुये कन्धों पर
कभी तो लडखड़ायेगा 
भविष्य भारत देश का
आओ मिलकर आवाज उठायें 
सोती हुई सरकार उठायें 
नन्हे-नन्हे कन्धों को
सीधा रहकर चलना सिखाएं 
अब तो बदलो शिक्षा प्रणाली 
अब तो किताबें कम करो
बच्चे भविष्य भारत का है
आओ भारत का उद्धार करो
कविता गुज्जर
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