व्यवसाय हो गया अब,
शिक्षा का आधार..
अभिभावक झेल रहे
इसका भार..
बस्ते का नित बोझ बढ़ रहा,
महंगी हुई फीस, किताबें
महंगी हुई पढ़ाई..
खून पसीना एक – एक कर,
मां – बाप ने जोड़ा पाई पाई
स्कूलों की फीस भर – भर कर
रातों की नींद है उड़ाई…
शिक्षा एक व्यापार,
जगत की है कड़वी सच्चाई..
शिक्षा एक व्यवसाय नहीं है
यह तो जीवन का धन है
हम सब की खुशियों का मधुबन है..
राष्ट्र के नागरिकों का
यह तो है मौलिक अधिकार
इसे ना बनाओ व्यापार..
मंजू रात्रे ( कर्नाटक )