शिक्षा एक व्यवसाय बना,
जहाँ ऊंची बोली लगती है,
भोली भाली सी जनता को,
बहला कर चतुराई से ठगती है।
जिसका जितना ऊँचा दाम,
उसका उतना ऊँचा है नाम,
वक़्त पड़े पर पता चलता है,
कितना आता यह दिखावा काम,
बाज़ार बना है ठेकेदारों का,
जहाँ शिक्षा कोड़ी में बिकती है।
शिक्षा एक व्यवसाय बना,
जहाँ ऊंची बोली लगती है।
हुनर यहाँ है धक्के खाता,
धन से सब छुपाया जाता,
कहने सुनने वाले यहां बहरे,
अंधा बन कोई मार्ग दिखाता,
कैसे कोई बढ़ेगा अब आगे,
जब आधार बन गया नकदी है
शिक्षा एक व्यवसाय बना,
जहाँ ऊंची बोली लगती है।
पूजा पीहू