शामिता की उम्र कोई बाईस वर्ष पार की होगी कि उसके माता-पिता ने लड़के और घर परिवार देखना शुरू किया।साधारण परिवार था पिता दफ़्तर में क्लर्क थे।दो छोटे भाई थे,हाँ पढ़ने में सभी साधारण थे।शामिता की मामी ने अपनी चचेरी बड़ी का परिवार और उनका बेटा बताया।जीजाजी ऑफीसर थे रिटायर होने के बाद वकालत कर रहे थे जो बहुत अच्छी चल रही थी और हाई कोर्ट के मुकदमों में सफलता हासिल कर रहे थे।उनका बेटा मर्क कम्पनी में एम आर था।परिवार सात्विक दंदफंद से दूर।
बिना लेन देन के शादी हुई।पर शामिता संयुक्त परिवार को कभी अपना नहीं पाई।काम सिर्फ रसोई का भी न संभलता।पति आदित्य मेहनत करता और हंसी खुशी से रहता।एक समय जरूर कुछ उखड सा गया था जब बिना दिखाये और बिना मर्जी जाने उसकी माँ शामिता के हाथ में चांदी का सिक्का थमा पक्का कर आई थी रिश्ता।कयी बार शामिता से अप्रसन्न होकर जब आदित्य से उसकी शिकायत करती तो वह साफ कह देता—“तुम्हीं ने सिक्का रखा था भुगतो”।शायद तभी आदित्य की माँ ने कभी भी कुछ आदित्य से नहीं कहा।हाँ शामिता की किसी भी हरकतों को चुपचाप सहने लगी।और एक दिन…….जब आदित्य अपनी कम्पनी की ओर से डाक्टरस् को कॉकटेल पार्टी देने गया था तब आदित्य की माँ शामिता के पास रूक गयी उसके कमरे में कहीं डरे नहीं।शामिता तीन महीने की गर्भवती थी पर ये क्या…….शामिता पर पागलपन सवार था वह आपा खो बैठी और…..सास जो पास में लेटी सो गयी थी उनके पेट पर चढ़कर बैठ गयी थी और उनको पूरा झंझोड दिया …मारा।
आदित्य की माँ ने इसकी कल्पना भी नहीं की थी गुस्सा होकर बोली आने दे बताती हूँ बेटे को।जैसे नींद से जागी हो शामिता पैर पकड़ कर कांपने लगी।आदित्य की माँ ने आदित्य को कुछ नहीं कहा पर अपने पति को बताया।
ऐसे ही आदित्य के टूर पर चले जाने के बाद वो झल्लाती लड़ती और देवर नंद पर हाथ उठाती।कोई आदित्य को नहीं बताता कि वो परेशान होगा पर इसका फायदा शामिता खूब उठाती चाहे जिसको जो कहती और पति आदित्य को उल्टा भरती।कभी-कभी आदित्य का गुस्सा छोटे भाईयो पर फूटता।
समय बीतता गया शामिता पति की माँ के पेट पर चढ़ी थी आज उसकी माँ का लिवर इन्लार्ज हो गया था और हार्ट को टच करने लगा।अस्पताल में बहुत इलाज के बाद वे दुनिया से बिदा हो गयीं पर…..शामिता पर कोई असर नहीं हुआ वह जैसी मानसिकता की थी वैसी आज भी है हाँ अगर कोई बदला तो आदित्य……संस्कार पर संगती का असर चढ़ गया।अब उसे सिर्फ शामिता सही लगती और भाई बहन परिवार गलत।।
——अनिता शर्मा झाँसी
——मौलिक कथा