जलता नही कोई चूल्हा।
उस दिन पूरे गावँ में
जब खबर आती है बॉडर से
कि गावँ का एक और
जवान शहीद हो गया
मातृ भूमि की रक्षा में
प्राण अपने न्योछावर कर गया
रोता है पूरा गावँ उस दिन
एक नही पूरे गावँ का था वो लाल
बहन का था एकलौता भाई
माता पिता का थानोनिहाल।
वादा किया था उसने आऊँगा।
जल्दी ही छुट्टियां लेकर।
लेकिन इस तरह से क्या
आता है कोई
बहन की राखी छोड़कर
माँ बाप के बुढ़ापे की लाठी तोड़कर
पत्नी का सिंदूर पोंछकर
असमय जाता है कोई
बस उसी समय सेपत्नी उसकी
कहलाती एक शाहिद की पत्नी
एक वीर नारी
यही है उसकीपहचान
केसे सम्भाले सबको
ह्रदय उसकारोता है
जब तिरंगे मे लिपटकर
शव शहीद काआता है
शादी की शेरवानी से अधिक
तिरंगा उसेभाया
उसी मे लिपट कर शव शहीद का आया।
और फिर जब वही तिरंगा देते हैं उसे
तो अहसास शहीद का
ह्रदय को रुला जाता है
यही तो अंतिम निधि उसकी जो
रह जाती है उस के पास
जिसको पाया है उसने
सिंदूर चूडियों का देकर बलिदा न
वहतो रो भी नही सकती
नही कर सकती बयान
अपने दिल का हाल
और अपने जज्बात
क्योकि । वह है वीर नारी ।