भारत में शादी किसी त्योहार से कम नहीं हैं, जिस तरह लोग ईद और दीपावली की तैयारी महीने भर पहले से शुरू कर देते हैं उसी तरह से शादी की तैयारियां भी महीने भर पहले से शुरू हो जाती हैं।
रिश्तेदारों का तो आप पूछिए मत, मेहमानी के सारे अधिकार उन्हें कंठस्थ रटे रहे हैं, जितना खर्च लड़की वाले का बारात की दावत में होता है उतना ही लगभग घर में शादी से हफ्ते भर पहले पधारे हुए मेहमानों की आवभगत में खर्च हो जाता है।
आजकल तो शादी ऑर्गनाइज़र भी कुकुरमुत्ते जैसे उग आये हैं, अगर आप किसी मेट्रो शहर की शादी में शामिल हो रहे हैं जो संभल के रहिये क्योंकि आपको उस शादी के सारे प्रोटोकॉल को फॉलो करना होगा।
शादी ऑर्गनाइज़र हर चीज को मैनेज कर के चलते हैं जैसे कि लड़की को कब और कितना मुस्कराना है, कब और कितना शर्माना है, लड़की को किस फ्लो में चलना है।
जब इस तरह की महंगी शादी का लड्डू फूटता है तो वो केवल लड़की के पिता के ही जीवन को ही गन्दा करता है।
एक संस्कार के लिए इतना दिखावा क्यों, क्यों हमें पड़ोस के गुप्ता जी की लड़की की शादी से बढ़कर शादी की होड़ में पड़ना।
आईये एक सोचें क्या एक रात के दिखावे के लिए एक पिता को कर्ज़ के बोझ में दबा देना उचित है ।
आईए हम प्रण लें कि हम दहेज और महँगी होती शादियों के प्रति लोगों को शतर्क करेंगें और जहाँ तक सम्भव है इसका विरोध करेंगे।
रचनाकार – अवनेश कुमार गोस्वामी
Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *