भगत सिंह सच में महान एक क्रांतिकारी थे, जिन्होंने अपना सर्वत्र देश सेवा के लिए, देश की आजादी के लिए कुर्बान कर दिया, भगत सिंह जैसे विरले देशभक्त युवा सदियों में कभी-कभार ही पैदा होते हैं।
आज हर युवा भगत सिंह बन सकता है, हर किसी में भगत सिंह बनने जैसी काबिलियत है लेकिन कभी हमने सोचा की जितने भी महान क्रांतिकारी हुए हैं, उनमें क्या खूबी थी, उनमें ऐसा क्या जज्बा था जो वो अपना नाम अमर कर गए।
आइए आज हम महान क्रांतिकारी भगत सिंह के बारे में जानने की कोशिश करेंगे, भगत सिंह के चरित्र में बहुत सारी असाधारण खूबियां थी जैसे कि लक्ष्य निर्धारण, भविष्य की चिंता ना करना, लक्ष्य से भटकाव नहीं होना, जीवन का उद्देश्य हमेशा सबसे ऊपर रहना, डर को जीत लेना।
भगत सिंह ने बचपन में ही तय कर लिया था कि उनको क्या करना है, कहते हैं ना पूत के पैर पालने में ही पता चल जाते हैं, यह सच है भगत सिंह के चरित्र का प्रमाण हमें बचपन से ही मिल जाता है।
भगत सिंह ने अपने जीवन के उद्देश्य और लक्ष्य का निर्धारण बहुत ही कम उम्र में कर लिया था, जब उनको लगा की शादी उनके देश प्रेम और आजादी के मार्ग में बाधक बन सकती है तो उन्होंने शादी ना करने का फैसला कर लिया।
भगत सिंह ने भविष्य को लेकर होने वाले सभी पूर्वाग्रहों से मुक्ति पा ली थी, आने वाले भविष्य में क्या होगा इसके लिए उन्हें कोई भी चिंता नहीं थी।
भगत सिंह ने अपने अंदर छुपे हुए डर को भी जीत लिया था, भगत सिंह में देश को ना सिर्फ आजाद कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी बल्कि उन्होंने डर के मारे गहरी नींद में सो चुके देश के युवा वर्ग में जोश और एक नवचेतना की लहर पैदा की।
भगत सिंह ने अच्छी तरह से समझ लिया था कि अंग्रेजों को देश से सिर्फ अहिंसा के बल से बाहर नहीं किया जा सकता है, इसके लिए उन्होंने चंद्र शेखर आजाद के साथ मिलकर क्रांतिकारी गतिविधियों में सहयोग किया, भगत सिंह खून-खराबा के पक्षधर नहीं थे लेकिन उन्हें पता था की मात्र अहिंसा के प्रयोगों के बल पर देश को आजाद नहीं किया जा सकता है।
भगत सिंह ने राजगुरु के साथ मिलकर १७ दिसम्बर १९२८ को लाहौर में सहायक पुलिस अधीक्षक रहे अंग्रेज़ अधिकारी जे० पी० सांडर्स को इसलिए मारा क्योंकि वो चाहते थे कि लोगों तक अन्याय के विरुद्ध उठ खड़े होने, अन्याय को मुँह तोड़ ज़बाब देने का संदेश पँहुचे।
भगत सिंह के विचारों में एक नयापन, देश के लिए मर मिटने जोश, एक उमंग, कुछ कर दिखाने का जज्बा था।
बहुत ही कम उम्र में भगत सिंह ने देश के लिए जो कुछ किया वो किसी अविश्वसनीय स्वप्न मात्र से कम नहीं है।
भगत सिंह ने जेल में रहकर भी अध्ययन और जागरूकता को जारी रखा और समय-समय पर अपने विचारों को लेखों के रूप में प्रसारित करते रहें।
भगत सिंह आज एक विचारधारा के रूप में हर भारतीय युवा के अंदर विराजमान है, भगत सिंह एक ऐसी विचारधारा है जो हमें देश के लिए मर मिटने, कुछ कर दिखाने के जज़्बे के लिए प्रेरित करती है।
भगत सिंह का संपूर्ण जीवन एक आदर्श देशभक्त,बेमिसाल क्रांतिकारी, एक जागरूक नागरिक का रहा. उन्होंने अपना मार्ग स्वयं चुना, वो किसी के व्यक्तित्व से ज्यादा देश भक्ति से प्रभावित होते थे।
क्योंकि भगत सिंह एक किसान परिवार में पैदा हुए थे इसलिए जीवित रहने के लिए होने वाले संघर्ष को वह भलीभांति जानते थे, इसके लिए उन्होंने पूंजीपतियों को देशद्रोही कहकर उनका विरोध किया, उनके वामपंथी विचार कई लोगों को पसंद नहीं आते लेकिन भगत सिंह ने इतनी कम उम्र जो कुछ देश के लिए किया वो निःसंदेह अनुकरणीय और असाधारण है।
भगत सिंह द्वारा लिखित इस पंक्तियों से उनके जोश और कुछ कर दिखाने का जज़्बा साफ दिखता है,
उन्हें यह फ़िक्र है हरदम, नयी तर्ज़-ए-ज़फ़ा क्या है?
हमें यह शौक है देखें, सितम की इन्तहा क्या है?
दहर से क्यों ख़फ़ा रहें, चर्ख का क्या ग़िला करें।
सारा जहाँ अदू सही, आओ! मुक़ाबला करें॥
देश के उस महान सपूत को मेरा कोटि-कोटि नमन 🙏
रचनाकार – अवनेश कुमार गोस्वामी