शहीदों का एक दिवस नहीं
संपूर्ण संसार  शहीदों का है
 अपनी मातृभूमि की रक्षा में 
पूरा  बलिदान शहीदों का है
हम एक दिवस क्यो मनाए
जब प्राण उन्हीं की बदौलत हैं
आज़ाद वतन में सांस ले रहे
यह उपहार उन्हीं के दम पर है
कितनों की सूनी मांग हुई तब
हम सबका सिन्दूर है बना हुआ 
कितनों की लाठी टूट गई तब
 यह भविष्य हमारा सुदृढ़ हुआ 
मत खुद पर इतराओ कभी तुम
कि हमने की कभी कुर्बानी  हैं
गर आज सुकून की नींद सो रहे
तो उन शहीदों की मेहरबानी है
ख़ुद की जान की परवाह न की
जय हिन्द का नारा लगाते रहे
जब तक एक भी बूंद बची रही
वो अपना लहू वतन पे बहाते रहे
शत शत नमन तुम्हें अमर शहीदों 
जो हमें आज़ाद हिंदुस्तान दिया
तुम्हारे चरणों की धूल से हम सबने
अपने माथे पर गर्व से तिलक किया
जय हिन्द जय भारत
शहीदों को शत शत नमन
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