आ गई शरद पूर्णिमा की रात

आ गई चांदनी बरसाने वाली रात,

पूनम की चांदनी पूरी रात खिलेगी,

रोग, दोष होगें छुमंतर ,

होगी आज अमृत की बरसात।

सोलह कलाएँ अपनी कलाएँ करेगी,

टिम टिम करेंगे तारें,

वे जन होगें बड़े निराले,

जिस पर चंदा कि कृपा बरसेगी ।

राधा चली सुन बंसी कि धुन,

गोपियो ने भी ना किसी की सुनी,

मीरा भी नाची हो के मगन,

ये रात होती ही है अलबेली,

कृष्णा संग रास लीला करने की पूरी कायनात ने है ठानी।

खुला है आज सबके लिए द्वार,

सांवले रंग की छटा बिखरी है अपार,

आज कृष्ण के संग नाचेगा सारा संसार।

आई शरद पूर्णिमा की रात।।

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PritiUpadhyay

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