मन अमृत सा बना लिया,
तन रोग ‘राम’ का लगा लिया…
उनके आने की आहट से,
नैन मोम रुप का बना लिया…
‘शबरी’ का बाँध टूट गया……2
ब्रह्म रुप की मानव काया,
रोम-रोम बस जाए….2
‘राम’ की कृपा हुई कभी तो,
ना मन तेरा पछताये…2
देर तो है अंधेर नहीं अब,
कब तेरा मन भर जाऐगा…
‘शबरी’ का बाँध टूट गया……2
मालिन के चुने पूष्प सुगंधित,
पग पैर जमीं बिछाये…2
मिठा ‘बैर’ जुठा चून-चून कर,
प्रभू ‘राम’ को दिए खिलाये…2
जग में वंदन नाम रहे,
कभी प्रेम नहीं धूल पायेगा…
‘शबरी’ का बाँध टूट गया……2
दिव्य रुप में समा गई,
‘शबरी’ पर ‘राम’ की कृपा हुई…
जग तेरा वंदन गायेगा,
‘शबरी’ का बाँध टूट गया…2
     ✍️विकास कुमार लाभ
             मधुबनी(बिहार)
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