जो तुम्हारे आगे झुकी सी है
वो हूं मैं…!
जरा सा प्यार दिखाने पर , जो खिलखिला कर हंस पड़ी है
वो हूं मैं…!
जो कभी अपने लिए दूसरों से नहीं लड़ी है
वो हूं मैं…!
जो दूसरों के लिए अपनों से तक भिड़ी है
वो हूं मैं…!
अपनी गलती ना होने पर भी जो नजरे झुकाए खड़ी है
वो हूं मैं…!
किसी के चिल्लाने पर , बिना कुछ कहे जो रो पड़ी है
वो हूं मैं…!
दोस्तों की मदद के लिए जो हमेशा खड़ी है
वो हूं मैं…!
वो जो हर रिश्ते को अपना मान चली है
वो हूं मैं…!
वो जो सबकी खुशी के लिए , खुद को खोने लगी है
वो हूं मैं…!
वो जो अपनी भाई बहनों की लाडली बनी है
वो हूं मैं…!
सबके साथ होते हुए भी जो अकेले खड़ी है
वो हूं मैं…!
लेखिका :- रचना राठौर ✍️