रिया को इंटरव्यू देने देहरादून जाना था । देहरादून उसके शहर से दस घंटे का सफर था। इसलिए उसे रात आठ बजे की देहरादून एक्सप्रेस पकड़नी थी ताकि वह समय पर पहुंच सके। मां ने रास्ते के लिए बहुत कुछ सामान पैक कर दिया था खाने के लिए वो कहती ही रह गयी कि मां इतना मत दो सामान कल तो वापस आ ही जाऊंगी।पर फिर भी मां का दिल मां का होता है।रिया ठीक आठ बजे रेलवे स्टेशन पहुंच गयी और ट्रेन के आते ही उसमे चढ़ गयी । लम्बा सफर था इसलिए रिया ने अपनी सीट सुनिश्चित कर ली थी।वैसे आज ज्यादा मुसाफिर नही थे रिया के डिब्बे मे पांच सात यात्री बैठे थे। रिया ने उपर की बर्थ पर सामान रखकर कुछ खाने का सामना और पढने के लिए किताब निकाल ली ।वह हमेशा सफर मे अपने साथ किताब ले जाती थी। क्यों कि उसका मानना था किताब जैसा कोई मित्र नही होता।
अभी उसे किताब पढ़ते पंद्रह मिनट ही हुई थी कि उसने नोटिस किया कि एक जोड़ी आंखें उसे लगातार देखे जा रही थी।सामने की बर्थ पर एक फौजी की वर्दी मे एक लड़का बैठा था जो उसे लगातार देखे जा रहा था।रिया को बड़ी उलझन हो रही थी लेकिन वो भी मन मे ठान कर बैठी थी कि अगर वो लड़का कुछ भी बदतमीजी करेगा तो वह ट्रेन की चेन खींच लेगी । थोड़ी देर बाद उस लड़के ने रिया को देखते हुए कहा ,”आप अकेले सफर कर रही है?”रिया को एकदम से गुस्सा आ गया वो बोली,”आप से मतलब।”
वह लड़का बोला,”नही मै तो ऐसे ही कह रहा था आजकल अकेले लड़की का सफर करना धर्म नही है।”
रिया बोली,”आप अपने काम से मतलब रखिए।” यह कहकर रिया अपनी किताब पढने लगी। चिप्स और कुरकुरे खाने के बाद जब रिया ने अपने बैग से पानी की बोतल निकाली तो ये क्या?बोतल का ढ़क्कन ढीला होने के कारण सारा पानी बूंद बूंद करके रिस गया।रिया को बहुत तेज प्यास लगी थी।अभी स्टेशन आने ही वाला था गाड़ी की रफ्तार धीरे होने लगी थी । लेकिन रिया को गाड़ी से उतरने मे डर लग रहा था क्योंकि ट्रेन सिर्फ एक मिनट रुकने वाली थी स्टेशन पर ।कही गाड़ी छूट ना जाए इसलिए वो बैठी रही।तभी उसने देखा सामने बैठा वो फौजी उसकी ओर बढ़ रहा है ।रिया का कलेजा धड़कने लगा क्योंकि जो पांच सात यात्री बैठे थे वो एक एक करके उतर गये अपने अपने स्टेशनों पर।अब वह और वो फौजी लड़का ही रह गये थे डिब्बे मे ।रिया का ध्यान चेन की तरफ था कब वो कुछ कहे तो वो चेन खींचे। लेकिन जब रिया ने आंखे खोली तो वो फौजी उसकी पानी की खाली बोतल लेकर प्लेटफार्म पर उतर चुका था।और बिजली की गति से वो पानी की बोतल भर लायाऔर उसके हाथ मे थमा दी।रिया ने झेंपते हुए कहा,”थैंक्स “
वह बोला,”जी मै कोई मवाली बदमाश नही हूं मै फौज मे हूं । छुट्टी पर घर जा रहा था ।बाइ द वे मेरा नाम वीरेंद्र सिंह है और आप का ?”
“रिया सागर “रिया ने झेंपते हुए बोला।
फिर थोड़ी ही देर मे रिया उससे खुलकर बात करने लगी।तभी कुछ मवाली किस्म के लड़के डिब्बे मे घुस आये।और वह रिया को परेशान करने लगे।तभी उनके मुंह पर तेज जोरदार थप्पड़ और घूंसे पड़ने लगे।वो बदमाश लड़के हैरान रह गये कि ये लात घूंसे मार कौन रहा है जिसे ये लड़की बार बार प्रेरित कर रही है।वो डरके मारे एक तरफ बैठ गये और अगले स्टेशन पर रफूचक्कर हो गये।रिया हंसते हुए बोली,”ठीक किया वीरेंद्र जी आप ने ।आने दो टीटी को मै अभी इसकी शिकायत करुंगी।
तभी टीटी टिकट चेक करने आ गया ।रिया उसके आते ही उस पर बरस पड़ी कि कैसा सिस्टम है आप लोगों का एक लड़की सेफली कही आ जा नही सकती।ये तो भला हो मिस्टर वीरेंद्र का जिन्होंने मेरी रक्षा की।
टीटी बोला,”मैडम मै तो आप को देखने आया था कि आप अकेले इस डिब्बे मे सफर कर रही है कोई परेशानी तो नही है।”
रिया बोली,”आप क्या बात कर रहे है । मिस्टर वीरेंद्र के होते हम अकेले कहां है।”टीटी हक्का बक्का हो इधर उधर देखने लगा ।
“वो सामने ही तो बैठे है। क्यों आप को दिखाईं नही दे रहे।”
टीटी बोला,”मैडम मैं समझ गया ।आप किसके विषय मे बोल रही है ।ये वही वीरेंद्र सिंह है जो फौज की छुट्टियों मे अपने घर जा रहे थे उस दिन डिब्बे मे एक महिला यात्री अकेले सफर कर रही थी कुछ गुंडे टाइप लड़के उस लड़की को तंग करने लगे ।उसको बचाने के लिए वीरेंद्र उनकी लड़ाई मे कूद पड़े और उनमें से एक लड़के ने उनकी पीठ पर चाकू घुसेड़ दिया।जिससे उनकी इसी डिब्बे मे तड़प तड़प कर मौत हो गयी ।कहते है आज भी उनकी आत्मा कोई अकेली लड़की सफर कर रही हो तो उसके साथ साथ रहती है ताकि उसको कोई परेशान ना कर सके।”
अगला स्टेशन देहरादून था ।रिया जब स्टेशन पर उतरी तो उसने देखा फौजी वीरेंद्र सिंह उस डिब्बे के दरवाजे पर खड़े उसे हाथ हिलाकर बाय कर रहे थे।
रिया सोचती जा रही थी ये फौजी भी कितने देशभक्त होते है । ज़िंदा रहते है तो सरहदों पर हमारी रक्षा करते है और मरने के बाद भी बहन बेटियों की इज्जत बचाते है । धन्य है ये वीर।
रचनाकार:- मोनिका गर्ग
फरीदाबाद हरियाणा।