वो खिड़की जो बंद रहती है,
कभी तो उसको भी खोल दो,
दस्तक देती जो बात बारम्बार,
कभी तो उसको भी बोल दो।
बंद रखने से दम घुट जाता है,
अपने रिश्तों को थोड़ा मोल दो,
हवा लगने दो इन्हें भी थोड़ी सी,
बस बोलने से पहले शब्द तोल लो।
जरूरी है ये खिड़की जीने के लिए,
बिना देर के आज तो दिल टटोल लो,
कि जाने वाले नहीं आते लौट कर,
दिल की गहराइयों से सब खोल दो।
पूजा पीहू