” पापा जी बुढ़ापे की कड़वी हकीकत से रुबरु होते जा रहे थे!
“अनुभव ही सबसे बड़ा गुरु होता है..!”
पापा जी को नित नये अनुभव प्राप्त हो रहे थे और परिपक्व मन अब मोहपाश से दूर होता जा रहा था! पापा जी टहलते हुए कुछ दूर निकल गए थे भावनाओं के समंदर में तैरते उन्हें समय का अंदाज़ा भी नहीं था!
लगातार फोन रिंग हो रहा था.. देखा तो अर्जुन का नंबर था! पापा जी अर्जुन से बात करते हुए आगे बढते जा रहे थे!
सहसा अमन की आवाज सुन उनके कदम ठिठक गए!
“टाईम देखा है आपने..? मैं ड्यूटी को लेट हो गया आज.. आपको ढूंढने में एक घंटे लग गए.. इतना भ्रमण करना है तो आप पुनः घर चले जाईये.. मैं घर पर सर्वेंट का अरेंज कर दूंगा!”
पापा जी बेबस होकर रिस्टवाच को देखे और बिना कुछ कहे अमन के पीछे बाईक पर बैठ गए!
अर्जुन ने फोन पर सारी बातें सुन ली और पापा जी के मन: स्थिति को भांप लिया! बिना कुछ कहे उसने फोन काट दिया और पापा जी को अपने साथ लाने का निश्चय कर अमन के आफिस के लिए निकल पड़ा!”
शाम को अमन के साथ अर्जुन भी घर आ गया! दोनों भाई बड़े प्रसन्न नजर आ रहे थे! बच्चों की प्रसन्नता देख पापा जी के आंखों में चमक आ गई और मन ही मन ईश्वर का आभार व्यक्त किया! ” हे प्रभो! हमारे बच्चों में यह प्यार यथावत् बना रहे!”
” पापा जी को अपने साथ ले जाउंगा मैं..!” एनी प्राब्लम भाभीजी.?” अर्जुन ने नीलू से मुखातिब हो कहा!
नहीं-” पर बताया होता तो पापाजी के लिए कुछ शापिंग की होती मैं..!”
शापिंग से याद आया..”उमा ने अर्चना के लिए रक्षाबंधन की शापिंग कर ली है..भईया! मै किसी अर्जेन्ट काम से कल शहर से बाहर जाउंगा…आने में रात हो जाएगी .. अभिनव भी नहीं आएगा क्योंकि रानी की माँ हास्पिल में है इनदिनों..कल आप अर्चना के यहाँ चले जाईएगा..उमा का गिफ्ट भी लेते जाईएगा और मेरी राखी भी लेते आईएगा!” अर्जुन ने अपनी बात पूरी कर ली!
” अच्छा! कल की बात कल है.. अभी तो तू पापा जी को लेने आया है.. देखना यदि पासीबल हो तो पापा जी को ग्राउंड फ्लोर पर ही रखना!”
ये कहते हुए अमन ने पापा जी का सामान बांधा और अर्जुन के गाड़ी में बैठा दिया!
उमा और बच्चों ने मिलकर पापा जी का कमरा रेडी कर दिया था! पापा जी को ग्राउंड फ्लोर पर सिफ्ट किया गया!
पापा..!
“उमा दस बजे अपने पार्लर चली जाएगी.. बच्चे भी नहीं होंगे.. आपको जलपान आदि की आवश्यकता होगी तो वहाँ से मंगा लीजिएगा.. मैं पे कर दूंगा!”
अर्जुन ने सामने की दुकान की तरफ इशारा किया
और निकल गया!
” कोई आ रहा है पापा..?”
फोन देखा तो अर्चना का मैसेज था!
“हाँ! अमन जाएगा!”
पापा जी उत्तर भी प्रेषित कर दिए!
फिर से पापा जी को चैन नहीं मिला तो अमन को काल कर दिए! “थोड़ा जल्दी जाना बेटा ..अर्चना बिना खाए पीए रहेगी!
“ओके पापा!”
अमन ने कहा.. और फोन काट दिया!
पापा जी दिन भर अपने कमरे में पड़े रहते थे! शाम को बहू-बेटे आते तो अर्जुन हाथ पकड़ कर उपर ले जाता था.. रात्रि भोजन के पश्चात् पुनः पापा जी के कमरे में छोड़ आता! इधर कुछ दिन से पापा जी को खांसी की समस्या भी होने लगी! आंख से भी कम दिखता था!
पापा जी संकोच वश कुछ कह नहीं पाते थे! बहू बेटे रहने खाने का पूरा ख्याल रखते थे किंतु किसी को ट्रीटमेंट का ध्यान नहीं आता था !
एक दिन पापा जी अपनी समस्या अर्जुन से बता दिए!
“बेटा! आंख में दर्द भी हो रहा है कई दिनों से.. कफ सीरप भी लेना है.. कल मुझे ले चलो डाक्टर के यहाँ..! “
ओके पापा!
अर्जुन अगली सुबह पापा जी को आई हास्पिटल ले गया! ट्रीटमेंट शुरू हो गया! मेडीसिन.. आई ड्राप देने के बाद डाक्टर ने शीघ्र आपरेशन का परामर्श दिया! कफ सीरप लेकर अर्जुन घर आ गया!
रात को अर्जुन पापा जी को मेडीसिन देता..कफ सीरप देता..और आई ड्राप भी डालता..! दिन में पापा जी खुद अपनी दवाईयां खा लेते!
एक हफ्ते बीत गए पापा जी ने फिर से याद दिलाया –
“बेटा! मेरा आपरेशन हो जाता तो.. समस्या दूर होती..!”
“अभी मनी प्राब्लम है पापा जी.. कई लोगों ने उधार लिऐ हैं.. मिलने पर ही कुछ हो पाएगा!”
अर्जुन ने अनीश्चित विराम लगा दिया!
“बेटा! कफ सीरप लेते आना.. ये खत्म हो गया है.!”
पापा जी सीरप दिखाते हुए बोले!
अगले दिन अर्जुन कफ सीरप लेकर आ गया!
“पापा जी ये वीन्डो पर क्या गिरा है..?” उमा बहू ने पूछा!
“बहू! मुझे दिखता नहीं है और सीरप गिर जाता है..!”
“अब आप गरम पानी पीजीए पापा जी.. कफ सीरप की आवश्यकता नहीं है.. कमरा गंदा हो रहा है,.. कई जगह फर्स चिपचिपा हो गया है…!”
उमा बहू ने फर्स साफ करते हुए सुझाव दे दिया!
बहू -” ये उम्र का असर है अब तो मल मुत्र पर भी नियंत्रण खत्म हो रहा है.. फिर कैसे संभालोगे तुम सब..?”
पापा जी थके शब्दों में बोल पड़े!
फिर उमा मौन हो गई!
इधर दो दिन से कोई पापा जी से मिलने भी आ रहा था.. चाय का दो कप देखकर उमा बहू ने पूछा.-“
“पापा ये आपके साथ दूसरा कौन चाय पी रहा है..?”
बहू-“एक मित्र हमें खोजते हुए यहाँ तक आ गए थे.. अभी वो यहीं कहीं पास में रुके हैं इसलिए मिलने आ जाते हैं.!”
” पापा जी! ये शहर है ..हर किसी को चाय पिलाना आवश्यक नहीं है..एक चाय दस की आती है…अर्जुन ने आपको अलाउड किया है न कि सबको..!”
उमा बहू ने दो टूक सुना दिया!
पापा जी निरुत्तर थे!
फिर पापा जी ने कप सीरप का नाम नहीं लिया!
“आपरेशन की चर्चा की तो अर्जुन ने कहा..” शिविर लगने दीजिए फिर ले चलूंगा.. फर्नीचर के ब्यवसाय से कोई सेविंग नहीं हो पाती है..!”
पापा जी को इस बात की अनुभूति हो गई थी-
” बेटों के पास रोटी मिलेगी पर बंदिशों के साथ.. इससे अधिक का दायित्व निर्वहन करना कोई नहीं चाहता है..!”
दो बजे रात में पापा जी को खांसी आने लगी!
” उमा बहू थोड़ा गरम पानी देना.. गले में खरास हो गई है..!”
पापा जी ने कई आवाज दी.. कुलर और फैन की ध्वनि के बीच कोई पापा जी की आवाज नहीं सुन रहा था!
पापा जी अपनी छड़ी संभाले और धीरे-धीरे सीढ़ी चढने लगे!
छड़ी की ठक-ठट से अर्जुन की आंख खुल गई!
“पापा जी आप बोलते क्यूँ नहीं है.. कहीं गिर गए तो कौन लेकर ढोएगा आपको..?” अर्जुन ने घबड़ाए हुए स्वर में कहा और पापा जी का हाथ पकड़ लिया!
“गरम पानी चाहिए बेटा! कल बहू पानी रखना भूल गई थी! और खांसी रुक नहीं रही है!”
पापा जी के हाथ में पानी का थरमस भी था!
पापा जी बोल रहे थे और बीच बीच में खांस भी रहे थे!
उमा ने थरमस उठाया और गरम पानी भर के रख दी!
अर्जुन ने पापा को पानी पिलाया और पुनः उनके कमरे तक छोड़ कर आ गया!
न चाहते हुए भी बहू – बेटे की आवाज कानों में पड़ने लगी!
” अमन भईया खुद नहीं संभाल पाए तो इधर टर्न कर दिए!” उमा बहू ने कहा!
नहीं उमा! मैं अपनी स्वेच्छा से पापा जी को लेकर आया हूँ! अर्जुन ने कहा!
अभिनव के हाथ में जबसे कमरे की चाबी लगी है तबसे तो उसने शक्ल ही नहीं दिखाई अपनी.. बीबी को प्रोटेक्ट कर रहा है.. हमें क्या मिला है आज तक..?”
“हां तभी तो हमने आपरेशन का जिम्मा नहीं लिया.. पापा जी खुद के लिए सक्षम हैं यदि देंगे तो आपरेशन करवा दूंगा!”
अर्जुन ने शब्दों के जरिए अपना ओरीजनल कैरेक्टर दिखा दिया!
पापा जी अपनी संतानों की मंशा जान निष्प्राण से हो रहे थे.. अब निश्चय कर लिया कि हमें अपनों से दूर रहना होगा! जहाँ मैं किसी बंदिशों में न पडूं..!अपनों की उपेक्षा से पीड़ित होते हुए पापा जी ब्रममुहूर्त में निकल पड़े और अर्जुन के फोन पर एक मैसेज छोड़ दिया!
“परेशान मत होना बेटा! अपने एक मित्र के यहाँ जा रहा हूँ मैं..!”
क्रमशः-