“कुछ नहीं भाभी.. मैं वाशरूम गई थी..!”
सुरभी सकपकाते हुए बोली!
अच्छा! एनी वे..अब शादी संपन्न कराई जाय! सुर्योदय से पहले ही विदाई का मुहूर्त भी है!
ओके भाभी! कहते हुए सुरभी हाल में चली गई!
विभिन्न रस्मो को निभाते शादी संपन्न हुई.. अब विदाई की घड़ी भी आ गई. !
अरे! विदाई का कपड़ा कहाँ है..? कौन रखा है? दादी ने याद दिलाया!
माँ जी! वो अभी उपर ही है बाबूजी के कमरे में सीटू लेकर आया और वही रह गया! मंगाती हूँ अभी!
शैली जाना उपर.. !
सुरभी चल न जल्दी.. शैली ने हाथ पकड़ कर खींचा!
दोनों कमरे तक गईं!
डोर नाक किया तो अंदर से बंद था! शैली ने कई बार खटखटाया.
“.जल्दी कपड़े लाओ ..!” उमा भाभी ने पीछे से आवाज दी!
“भाभी ये डोर लाक है अंदर से..!”
सुरभी ने कहा!
सुबह होने वाली थी!
“सीटू.. खोल.. सीटू.. उमा भाभी ने आवाज दी तब फाटक खुला!”
उमा भाभी के साथ सुरभी और शैली भी कमरे में प्रवेश कर गई!
भाभी ने विदाई का कपड़ा लिया और नीचे चली गई!
अरे आप यहाँ.? एक साथ सुरभी और शैली बोल पड़ी!
मैं सपने में तो नहीं हूँ! सौरभ ने कहा!
आप यहाँ कैसे? शैली ने पूछा!
मैं… दी के यहाँ हूँ..! उमा दी..हैं मेरी! सौरभ ने कहा!
क्या इत्तफाक है हमने कल आपकी आवाज सुनी.. पर आपको देख नहीं पाई!
मैं जा रही हूँ.. तू भी आ जल्दी! कहते हुए शैली नीचे आ गई!
सुरभी -अच्छा मैं चलती हूँ.. गुड मॉर्निंग..
सुबह – सुबह नींद खोल के कहाँ जा रही हैं आप! सौरभ ने शरारती अंदाज में बोला!
“अभी तो दी की बिदाई है फिर मिलते हैं.!”
. सुरभी ने कहा!
“सीटू तू कर क्या रहा है अभी तक यहाँ..?” बाहर निकल सब सामान रखवाना है गाड़ी में!”
उमा भाभी ने आंख दिखाते हुए कहा!
आया दी.. सौरभ उछलते हुए अपने काम में लग गया!
विदाई संपन्न हुई! धीरे- धीरे एक एक कर मेहमान विदा हो गए!
सुरभी और सीटू को साथ रहने का पूरा अवसर मिल गया! दोनों एक दूसरे के करीब आते गए! अब आवश्यकता थी दोनों परिवारों के सहमति के मुहर लगने की! यहाँ उमा भाभी ने अहम भूमिका निभाई!
सौरभ और सुरभी की मनोदशा अब उमा भाभी से छुपी नहीं थी!
” सीटू..चल न आज मार्केट मुझे कुछ शापिंग करनी है!” सुरभी को भी हमारे साथ चलना है.!”
उमा भाभी ने कहा!
“बस अपना काम करवा रही हो दी..कभी मेरे बारे में भी सोचो.!” सीटू ने सुरभी की तरफ इशारा किया!
“तेरे ही चक्कर में पड़ी हूँ मैं..! ये देख.. सुन ले.!”
उमा भाभी ने अपना फोन सौरभ को पकड़ाया.. सौरभ दिदी और मम्मी की बात सुनकर उछल पड़ा!
वाव दी,.. यू सो ग्रेट.! पापा भी मान गए..?
हाँ.. अब सुरभी से अच्छी भाभी कहाँ मिलेगी हमें.!
आज ही तुम्हारी इंगेजमेंट होगी! वहाँ हम शैली को बुला लेंगे! सुरभी वहाँ से अपने घर जाएगी और तुम अपने घर..! यहाँ के लिए अभी सीक्रेट ही रहेगा! उमा भाभी एक सांस में बोल पड़ी!
ओके दी..!
“इंगेजमेंट के बाद तो हमें इंगेज होना चाहिए और आप घर भेज रही हो..!” सौरभ मजाकिया लहजे में बोला!
ख्वाब कम देखो.. उसकी स्टडी चल रही है अभी. शादी फिक्स कराना मेरा काम है..
इसीलिए सुरभी को रोका है मैंने!” उमा भाभी ने सख्त वार्निंग भी दे दी!
दिदी आपके चरण कहाँ हैं.? सौरभ ने उमा का चरण स्पर्श किया और दादाजी के कमरे की तरफ दौड़ा!
सौरभ सबसे पहले दादा जी के कमरे में पहुंचा और साष्टांग दंडवत किया!
“विजयी भव! दादा जी बोले!
पर हो क्या गया! आज रामायण देखकर आ रहे हो क्या?
नहीं दादा जी.. मुझे परमानेंट जाब मिल गई!
मतलब..? वो तो तुम पहले से करते हो!”
कुछ मत पुछिए दादा जी..
“बस अपना हाथ मेरे सर पे रखिए .. सौरभ ने दादा जी का हाथ अपने सर पे रखा और भागता हुआ नीलू दी से टकरा गया! उनका चरण स्पर्श करने के बाद रानी दी और दादी जी का चरण स्पर्श किया!
उमा भाभी और सुरभी का हंसते -हंसते बुरा हाल होने लगा!”
“सौरभ! आप यलो ड्रेस पहनकर चलिए.. जब हमने पहली बार आपको ट्रेन में दे..!”
“अब हमें
आप का संबोधन दोगी तो कच्चा चबा जाउंगा तुझे…. सुरभी की बात खत्म होने से पहले ही सौरभ बोल पड़ा!”
“ओके! तो तुम डरा रहे हो मुझे, क्योंकि अब मेरे..!”
“हाँ क्योंकि जब बीबी बन जाओगी तो मुझे तुमसे डरना पड़ेगा!” बात खत्म होने से पहले ही सौरभ बोल पड़ा!”
“तुमसे कोई जीत नहीं सकता.. बोलने भी नहीं देते हो.!”सुरभी ने मुंह बनाया!
“मैं तो पहली नजर में दिल हार बैठा.. !” सौरभ ने पूरी अदा से कहा!
“अच्छा जी! और तुम्हारे वो लफ्ज़ मेरे दिल लीवर किडनी कलेजे तक समा गए.!”.
सुरभी नेउसी अदा से उत्तर दिया!
“अब.एक बार इन आंखों में डूब कर मैं निकलना भी नहीं..
अरे! ये तोता मैना की बातें हो गई हो तो अब चलो तुम दोनों!”
बीच में ही उमा भाभी ने टोक दिया!
उमा भाभी के प्रयास से दोनों परिवार के सदस्यों के मध्य सुरभी और सौरभ की सगाई हो गई! अगले साल शादी का मुहूर्त भी पक्का हो गया!
“आज कौन जा रहा है अर्चना के यहाँ.? दादाजी ने अपने तीनों बेटों के मध्य पूछा!
मैं जाउंगा पापा.. बड़े भइया बोल पड़े.!
मैं भी जाउंगा पापा ..रानी ने गिफ्ट भी खरीदा है अर्चना के लिए! मझले भईया बोल पड़े!
मैं भी जाउंगा मेरी भी तो एक ही बहन है! छोटे भईया भी बोल पड़े!
ऐसा करो फिर दामाद जी को फोन करते हैं वो अर्चना को लेकर आ जाएंगे! माँ जी ने कहा!
वो नहीं आएगी माँ जी हमारी बात हुई थी उससे..
उसके घर कई मेहमान आने वाले है आज!”
अच्छा! हम सभी चलते हैं माँ.. शाम तक वापस आ जाएंगे!
सबने माँ पापा का चरणस्पर्श किया और अर्चना के घर चल दिए!
हे इश्वर हमारे परिवार को सदा खुशहाल रखना! दादाजी ने घर के मंदिर में मत्था टेका और दादाजी के पास आ कर बैठ गई!
“अपने जीवन में हमने सबकुछ तो हमने पा लिया अमन की माँ .. अब एक आखिरी इच्छा रह गई है शिव मंदिर बनवाने की.!”
“हाँ.. अभी कितने वर्ष लगेंगे अपने रुपये निकलने में.?”
माँ ने प्रश्न किया!
नौ वर्ष और बाकी है.. एक भब्य आयोजन के तहत मैं मंदिर का निर्माण कराऊंगा.. पोते भी तबतक बड़े हो जाएंगे!
पर अभी आप उस रुपए की चर्चा भी मत कीजिएगा किसी से.. जब समय आएगा तब सभी जान जाएंगे!
क्रमशः-
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